शनिवार, 27 जून 2020
में आम आदमी हु चलते हुए (कविता)
सभी उलझनों से निपटते हुए,
अपनी इच्छाओं को भूनते हुए,
धूप,ठंड बारिशों से लड़ते हुए,
चल रहा हु में थोड़ा डरते हुए,
में आम आदमी हु चलते हुए।
फिक्र बहुत है कही गिर न जाऊ,
उलझने बहुत है कही टूट न जाऊ,
भीड़ बहुत है कही खो न जाऊ,
अपने परिवार के लिए ढलते हुए,
में आम आदमी हु चलते हुए।
दुनिया से लड़ते हुए ,
ईमानदारी से काम करते हुए,
खुशियों के ताने बाने बुनते हुए,
छोटे छोटे सपनो के साथ आगे बढ़ते हुए,
में आम आदमी हु चलते हुए।
@tri....
शादी का लडू (कहानी)
शादी का लडू..........
शादी के पाचवी वी सालगिराह पर राहुल ने पूजा के लिए बहुत से तौफे ले आया था। दोनों चाय की चुस्ती लेते लेते पहले की बातो को ताजा करने लगे। बातें करते-करते अचानक पूजा ने कहा कि- "मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना होता है, लेकिन हमारे पास समय ही नहीं होता एक-दूसरे के लिए।"
"इसलिए मैं दो डायरियां ले आती हूं और हमारी जो भी शिकायत हो हम पूरा साल अपनी-अपनी डायरी में लिखेंगे। अगले साल इसी दिन हम एक-दूसरे की डायरी पढ़ेंगे ताकि हमें पता चल सके कि हमें एक-दूसरे की कौन-सी बातें नापसंद हैं ताकि उन्हें सुधारा जा सके।"
राहुल भी सहमत हो गया कि विचार तो अच्छा है।
डायरियां आ गईं और देखते ही देखते एक साल बीत गया। शादी की छटवी वीं सालगिरह पर दोनों फिर साथ बैठे। दोनों के पास अपनी-अपनी डायरियां थीं।
पहले राहुल ने पूजा की डायरी पढ़ना शुरू की।
उसमें कई शिकायतें थीं, जैसे- आज होटल में खाना खिलाने का वादा करके भी नहीं ले गए, आज फ़िल्म दिखाने को बोले थे नही ले गए। आज मेरे मायके वाले आए तो उनसे ढंग से बात नहीं की तुम्हारे परिवार के लोगो ने, आज बरसों बाद मेरे लिए साड़ी लाए भी तो पुराने डिजाइन की।
पूजा की शिकायतें सुनकर राहुल की आंखों में आंसू आ गए।
राहुल ने कहा- मुझे पता ही नहीं था मेरी गलतियों का, मैं ध्यान रखूँगा कि आगे से ये गलतियां न हों।
अब पूजा ने राहुल की डायरी खोली।
पहला पन्ना- कोरा,
दूसरा पन्ना- कोरा,
तीसरा पन्ना- कोरा।
पूरी डायरी ही खाली थी।
पूजा ने कहा-" क्या तुमने इस डायरी में कुछ भी नहीं लिखा।"
राहुल ने कहा- "मैंने सब कुछ अंतिम पेज पर लिख दिया है।"
उसमें लिखा था-" मैं तुमने जो मेरे और मेरे परिवार के लिए त्याग किए हैं और इतने सालों में जो असीमित प्रेम दिया है, उसके सामने मैं इस डायरी में लिख सकूं ऐसी कोई कमी मुझे तुममें दिखाई ही नहीं दी। ऐसा नहीं है कि तुममें कोई कमी नहीं है, लेकिन तुम्हारा प्रेम, तुम्हारा समर्पण, तुम्हारा त्याग उन सब कमियों से ऊपर है। मेरी अनगिनत भूलों के बाद भी तुमने जीवन के हर उतार-चढ़ाव में छाया बनकर मेरा साथ निभाया है। अब अपनी ही छाया में कोई दोष कैसे दिखाई दे मुझे। "
अब रोने की बारी पूजा की थी। उसने राहुल के हाथ से अपनी डायरी लेकर दोनों डायरियां आग में जला दी और साथ में सारे गिले-शिकवे भी।
दोस्तो ये कहानी मेरे प्रिय मित्र की है। सबक सभी के लिए है। पति-पत्नी का रिश्ता आपसी समझ पर टिका होता है। उम्र के एक पड़ाव पर ये समझना जरूरी हो जाता है कि पति-पत्नी एक-दूसरे की कमियां ढूंढने की बजाए ये याद करें कि हमारे साथी ने हमारे लिए कितना त्याग किया है तो निश्चित ही पति-पत्नी का रिश्ता और मजबूत हो सकता है।
@tri....
कॉलेज की यादे ( कविता)
वो कॉलेज के दिन....
वो कॉलेज के दिन,
कुछ बातें भूली हुई,
कुछ पल बीते हुए,
हर गलती का एक नया बहाना,
और फिर सबकी नज़र में आना,
थोड़े थोड़े पैसे जमा कर
दोस्तो का बर्थडे मनाना,
बातो ही बातो में ...
एक दूसरे का मजाक उड़ाना,
फिर जोर जोर से ठहाके लगाना,
वो सुहानी राते...
रातो में भी दोस्तो से बाते,
न दुनिया दारी थी
न कोई टेंसन की वजय,
अपनी सारी दुनिया थी
दुनिया मे अपने थे,
आज सिर्फ यादे है
यादों में सिर्फ दुनिया है।
@tri....
सच्चा प्यार (कहानी)
सच्चा प्यार.....
मस्ती मस्ती में सोहन ने दादाजी से पूछ लिया, "दादाजी सच्चा प्यार क्या होता है" यह सभी को नसीब क्यो नही होता?
दादाजी हँसते हुए बोले" हा ये सवाल तो बहुत अच्छा तुमने पूछा और इसका जवाब जानने के लिए मेरा कुछ काम तुम्हे करना पड़ेगा।"
करोगे न?
सोहन ने कहा" हा क्यो नही बताईये क्या करना है।"
दादाजी ने कहाँ “बेटा, सामने आम के बगीचे से एक मीठा आम तोड़ के लाओ।"
सोहन ने मन मे सोचा "मामूली सा काम है अभी हो जाएगा।"
सोहन आम के बगीचे में चला गया।
एक पेड़ पे चढ़ा आम देखा सोचा तोड़ लेता हूं , तभी मन में ख्याल आया कि दूसरे पेड़ पे और अच्छा आम होगा।
वह दूसरे पेड़ पे चढ़ा आम देखा नही पसंद आया मन मे आया क्यो न तीसरे पेड़ पे भी देख लेता सायद इससे अच्छा आम वहाँ हो ।
तीसरे से चौथे, चौथे से पांचवे पेड़ पे देखने के बाद भी उसके मन मे यही विचार आया कि आगे वाले पेड़ पे इससे मीठा आम होगा ।
अंत मे पूरा बगीचे के आम के पेड़ का भ्रमढ़ करने के बाद लगा कि पहले पेड़ का आम सबसे मीठा था । जब तक पहले पेड़ पे पहुचता क्या देखता है किसी ने पहले से ही उस आम को तोड़ लिया है।
अतः वह खाली हाथ ही अपने दादाजी के पास वापस आ गया। पूछने पर उसने सारा वृतांत सुना दिया.
दादाजी हँसने लगे सोहन को समझाते हुए बोले, “बेटा, जो सामने होता है उसकी कदर नहीं होती और जब हम वापस आते है तो वह भी नहीं मिलता है , इसलिए सच्चा प्यार बहुत लोगो को नसीब नहीं होता है ।
दोस्तो ,अगर आपका प्यार सच्चा है तो वो वक़्त के साथ गहरा होता चला जाता है। प्यार का रिश्ता पहले से और भी मजबूत हो जाता है। सच्चा प्यार जिंदगी जीने का नजरिया बदल देता है।
हमारे मां-बाप कितने भी बुरे हो लेकिन हमारे लिए सबसे बेस्ट होते हैं। बिना स्वार्थ के हमारी जरूरतों को पूरा करते है।कभी भी हम उनकी जगह पर किसी और को रखकर सोच भी नहीं सकते। हम उनके जितना प्यार कभी किसी से कर ही नहीं सकते। वह हमसे प्यार करते हैं क्योंकि उन्होंने जिंदगी भर हमें सिर्फ प्यार ही दिया है।
एक लाइन में मैँ कहना चाहुंगा "सच्चा प्यार वही है जिसमें हमारी जरूरत हमारा स्वार्थ ना छुपा हो।"
@tri....
छोटी सी मुस्कान (कहानी)
छोटी सी मुस्कान .......
शाह अंकल को रेंट लेट मिले यह पसंद नही ।लेट होता है तो बहुत चिल्लाते है।
"ऐसे समय मे पापा से कैसे पैसे माँगे वो भी तो मुसीबत में होंगे। शाह अंकल आ गए तो क्या जवाब दूंगा" ऐसे खयाल भौतिक के मन मे आ रहे है।
अचानक doorbelll रिंग होता है।
भौतिक दरवाजा खोलता है शाह अंकल सामने।
"नमस्ते अंकल ।"
"नमस्ते नमस्ते। दूर से बात करो सोशल distancing को फॉलो करो।और सब ठीक है ना।खाने पीने की दिकत तो नही।" शाह अंकल ने कहा।
"सब ठीक है अंकल आप का रूम रेंट में 2 से 3 दिन में इंतज़ाम कर दूंगा।" भौतिक ने जवाब दिया।
"पहले मेरी बात तो पूरी होने दो" शाह अंकल ने कहा।
"जब तक lockdown है तब तक तुम्हे रेंट देने की जरूरत नही है 2महीने का रेंट माफ किया और अपने माँ डैड पे भी pressure मत डालना। "
"पर lockdown खत्म होते ही रेंट time पे मिलना चाहिये ठीक है। चलो में चलता हूं खुद का ख्याल रखो।"
भौतिक के चेहरे पर स्माइल सी आ गयी। शाह अंकल अपने रूम में चले गए ।पर भौतिक सोचता रहा। की शाह अंकल नारियल की तरह है ऊपर से कड़क और अंदर से बहुत ही नरम।
दोस्तो अगर इंसान गुस्से वाला है तो इसका मतलब ये नही की वो बुरा इंसान है। कभी कभी गुस्से के पीछे बहुत सारा प्यार छुपा होता है जो किसी किसी को ही दिखाई देता है।
@tri....
क्या प्यार इसी को कहते है(कहानी)
क्या प्यार इसी को कहते है......
प्यार यदि सचमुच प्यार ही है तो समय बीतने के साथ उसका रंग गहराता ही है, धूमिल नहीं होता। लंबे समय तक साथ रहने के बाद एक-दूसरे को देखा नहीं जाता बल्कि अनुभूत किया जाता है, ह्रदय की अनंत गहराइयों में......
दो बुजुर्ग मिया बीबी मुम्बई सहर में काफी सालो से एक साथ रहते थे।मिया की उम्र 62 और बीबी की उम्र 51 के करीब होगी। उनके बीच लगाव इतना था कि बस एक दूसरे के लिए सब कुछ थे।
कई साल से लड़ते झगड़ते ,बात न करने को कहते पर बात किये बिना रह भी नही पाते।
दोनों की बातों में एक दूसरे के लिए प्यार था समर्पण था।
जब कोई उनसे एक दूसरे के बारे में पूछता तो दोनों की बाते गहरे प्यार को प्रकट करती। दोनों एक दूसरे की खूबियों को बताते।
कुछ इस तरह 62 वर्ष का बुजुर्ग प्रेमी अपने प्रेमिका के बारे में कहता हैं ....
''मैं वही सोचता हूं जो 'वह' कहती है या जो मैं सोचता हूं वही 'वह' कहती है। बड़ी मीठी उलझन है। कई बार तो ऐसा लगता है मानो मैंने अपने ही शब्द उसके मुंह में डाल दिए हैं। कभी कभी हम एक दूसरे से गुस्सा होते है पर आंखों से बाते करते है।''
50 वर्ष की बुजुर्ग 'प्रेमिका' अपने प्रेमी के बारे में कहती है -
''हम हर काम का श्रेय एक-दूजे को देते हैं। हम एक-दूजे की छवि को बनाए रखने के लिए दीवानों की तरह काम करते हैं। जैसे 'इनके' नाम से मैं दूसरों को उपहार भेजती हूं और मेरी तरफ से 'ये' दूसरों से क्षमा मांग लिया करते हैं। वो कितना भी गुस्से में रहे एक बार मुझे अगर देख ले तो गुस्सा छोड़ देते है। "
आज के युवा वर्ग को इनसे सीख लेने की जरूरत है.....
एक के शुरू किए गए वाक्य को जब दूसरा पूरा करता है। दूर-दूर बैठकर भी दृष्टि ऐसी होती है जिसका अर्थ स्पष्ट करने की जरूरत नहीं होती।
या किसी भी मनोरंजन के विषय में उनके मनोभावों को व्याख्या की आवश्यकता नहीं पड़ती। तब यही प्यार वह वटवृक्ष होता है जिसकी छांव तले प्यार के नन्हे पौधे जीवन-रस पाते हैं। परिवार में प्यार के बने रहने की सबसे बड़ी वजह मुखिया दंपति के रिश्तों की प्रगाढ़ता होती है।
प्यार के इसी कोमल स्वरूप को सहेजे जाने की जरूरत है। जहां शब्द अनावश्यक हो जाए और भावनाएं बस आंखों ही आंखों में एक से दूजे तक पहुंच जाए।
एहसास की एक ऐसी भीगी बयार, जो एक-दूजे के पास ना रहने पर भी..... दोनों को आत्मा का गहरा संदेश दे जाए। जी हां, बस.. प्यार इसी को तो कहते हैं....
@tri....
तुम याद आ जाती हो( कविता)
तुम याद आ जाती हो....
कभी कभी युही बैठे बैठे
तुम याद आ जाती हो।
खयालो और ख्वाबो में
अंगड़ाई लेती हुई
तुम्हारी सूरत नज़र आ जाती है।
कभी कभी तुम्हारे कदमो की आहट
मेरे कानों को सुकून दे जाती है।
तुम्हारे आंखों की गहराई
मुझे नसे में डुबो जाती है।
कभी कभी तुम्हारे लबों से सरकती
ओस की छोटी छोटी बूंदे
दिल को छू जाती है।
तुम्हारी खिलखिलाहट,
तुम्हारी बच्चो वाली हँसी..
कभी कभी नही हमेशा
याद आती है।
@tri....
कभी कभी (कविता)
कभी कभी.....
कभी कभी कुछ कुछ बात का दुख होता है,
कर्म करो फल न मिले तो ज्यादा दुख होता है।
कभी कभी झूठ बोलना ठीक लगता है,
पर सच बाहर आ जाये तो बहुत बुरा लगता है।
कभी कभी हालातो से समझौता ठीक लगता है,
पर हालात बेकाबू हो जाये तो ज्यादा बुरा लगता है।
कभी कभी उमीद करना बहुत अच्छा लगता है
पर उमीद के मुताबिक काम न हो तो बुरा लगता है।
@tri....
ज़िन्दगी (कविता)
ज़िन्दगी.....
जब दर्द मीठा मीठा सा लगने लगे,
समझलो ज़िन्दगी तुम्हे रास आ गयी है।
जब यादों और खयालो में कोई आने लगे
समझलो ज़िन्दगी कुछ कहना चाहती है।
जब बारिश की रिम झिम बूंदे गिरने लगे
समझलो ज़िन्दगी कोई धुन सुना रही है।
जब मौसम पतझड़ से हरियाली में बदलने लगे
समझलो ज़िन्दगी तुम्हे बुला रही है।
@tri
Miss u papa (कविता)
Miss u Papa...
लड़ता था झगड़ता था मैं
फिर अपने आप मान जाते थे आप
कभी गुस्से में ज्यादा बोल जाता
तब समझाते थे आप ...
ईमानदारी का पाठ पढ़ाते थे आप
मेरी नादानी को भूल कर
अपनी किसे सुनाते थे आप
में बात नही करता था तब
खुद ही आकर मुझे सोता देख
मेरे पास बैठ आशु बहाते थे आप
तब न जाने क्यों में जाग कर भी नही जागा
मेरे गालो पर गिरे आशु को नही पहचाना
आज उस आशु की भी याद आती है पापा
आपका गुस्सा भी याद आता है
आपका प्यार भी याद आता है पापा।
@tri....
Miss u sushant ( कविता)
श्रद्धांजलि सुशांत राजपूत को।
सब कुछ तो ठीक था फिर क्यो? सुशांत
ज़िन्दगी में बहुत से अभिनय किये
उसमे पिता का भी अभिनय था
तुमने ही बोला था ना........
पिता के लिए उसका बच्चा सबकुछ है
बच्चा चाहे सफल हो या ना हो
उसकी जिंदगी महत्वपूर्ण है....
बूढ़े पिता का एक बार सोच लिये होते....
अपनो की आंखे नम कर गए
हम तुम्हे कभी नही भूल पाएंगे
अच्छी यादों में हमेसा रहोगे।
आप कि आत्मा को शांति मिले..
ऐसा एक पल आएगा (कविता)
ऐसा एक पल आएगा।
ऐसा एक पल आएगा ऐसा एक छड़ आएगा
सब कुछ ठीक होगा, पर पल पे बिखर जाएगा
सुबह का सूरज, रात के अंधेरे में बदल जाएगा
दुख का पलड़ा, सुख पर भारी पड़ जाएगा
ऐसे में जीवन जीने की राह बदल जायेगी
निराश जीवन में खुद को खत्म करने का मन होगा
ऐसे में बहुत से सवाल मन मे आएंगे
क्या आत्महत्या से सवालो के जवाब मिल जायेंगे
लोग कायर कहेंगे ,बुजदिल कहेंगे
कुछ अच्छा और सच्चा भी कहेंगे
बाते बनाएंगे कुछ दिन मातम मनाएंगे
और कुछ दिन में तुम्हे भूल जाएंगे
पर उनका भी सोचो जो दिल से तुम को बुलाएंगे
तुम्हारे न होने पे आशु बहाएंगे
सारी जिंदगी खुद को तड़पाएँगे
दुसरो के तानो से माँ बाप मर जायेंगे।
@tri....
मजदूर हु में (कविता)
मजदूर हु में क्या यही मेरा दोष है,
निकल पड़ा हु में अकेला सफर में
न खाने को रोटी न पीने को पानी
सफर में धूप है घोर अंधेरा भी
क्या पहुच पाऊंगा अपने गांव
माँ की आंखों में आशु है
पत्नी की यादों में सिर्फ में
बच्चो को लगता है आज आएंगे पापा
मुझे ही नही पता क्या मैं पहुच पाऊंगा
क्या मैं पहुच पाऊंगा अपनो के पास अपने गांव।
सब दिलासा देते है कोई अपनाता नही
कोई पूछता नही कोई खिलाता नही
हर तरफ अफरातफरी है
हरतरफ खामोसी है
भगवान भी चुप और लोग भी चुप है
कल का पता नही आज की चिंता है
क्या मै पहुच पाऊंगा अपने गांव..
@tri....
अच्छे दिन कहा (कविता)
अच्छे दिन कहा।
बाजार खुला संसार खुला
लोगो मे अब डर है कहा।
आजाद देश है आजाद है हम
पर आजादी है कहा।
लोकहित की बात बहुत है
पर लोकतंत्र है कहा ।
झूठ के अफवाओं का धुआं उठा
सच कैद है कहा ।
स्वदेसी की बात करते है हम
पर विदेसी हर घर मे है यहाँ।
मरता देख फ़ोटो और विडियो बनाते है
मदद करने वाले हाथ है कहाँ।
सिर्फ बातो की राजनीति है बस
देश अंधेरे में घिरा है यहाँ।
मुश्किल है दिन निकल जाएंगे
अच्छे दिन है कहा।
@tri....
वाह रे डर (कविता)
वाह रे डर।
वाह रे डर ,खुद से ज्यादा अपनो का डर है
डर है, अपनो के खो जाने का डर है
कुछ कह दिया कुछ बोल दिया तो क्या होगा
बेवजय बातो की राजनीति का डर है
कही राजनीति में न फस जाऊ इस बात का डर है
डर है, खुद की झूठी शान बचाने का डर है
डर है, खुद को कैसे बचाएंगे सच बोला तो
सच सुनता कौन है सुना तो साथ कौन देगा
वाह वाही घर बैठ सब करते है पर डर है...
डर है ,सच सामने न आ जाये इस बात का डर है
सच से रूबरू होना पागलपन ही तो है
पर डर है, खुद की गलतियों के बाहर आने का डर है
आज से ज्यादा कल के बनने बनाने का डर है
डर है, सच और झूठ के ताने बाने का डर है।
@tri....
फिर शुरवात होगी ज़िन्दगी की (कविता)
फिर शुरुवात होगी ज़िन्दगी की।
फिर नई शुरुवात होगी नई ज़िन्दगी की
फिर बादलो के बीच से मुस्करायेगा सबेरा
ख़त्म होंगी बेबसी,डर और ज़िन्दगी का अंधेरा
फिर ओठो की मुस्कुराहट लौट आयेगी
फिर मिलेगी आज़ादी खुल के सास लेने की
फिर वही पुराने खुशियों वाले दिन लौट आयेंगे
फिर हम सब अपने अपने कामो पे लौट जाएंगे
फिर उदास सड़को की रौनक लौट आयेगी
फिर रिश्तों की कड़वाहट मिठास में बदल जायेगी
फिर बादल बरसेंगे धरती मुस्कुराएगी
फिर फसलों की हरीयाली सुख का संदेशा लायेगी
फिर प्रकृति ख़ुश होकर अंगड़ाई लेगी
फिर पगडंडियों में फूलो की खुशबु लौट आयेगी
फिर आत्मनिर्भरता के रंग में देश रंग जायेगा
फिर सारे गामा के सुर आसमा में लहरायेंगे
हर तरफ शान्ति होगी इंसानियत के गीतों की
फिर जन गण मन से देश गौरवान्वित हो जायेगा।
फिर नई शुरुवात होगी नई ज़िन्दगी की।
@tri....
कोरोना एक बीमारी है (कविता)
कोरोना एक बीमारी है।
कोरोना एक बीमारी है
इसे मजहब से न जोड़ा जाए।
चाहे हिन्दू हो या मुसलमान
इस समय बस देश के लिए कुछ कर जाए।
एक दूसरे पर कीचड उड़ाने से बेहतर है
जो वीर योद्धा कोरोना से लड़ रहे है
उनकी मदद की जाए।
महजीद हो या मंदिर
किसी के बारे में कुछ न बोला जाए।
गलतिया मजहब से नही होती
इंसान से होती है
पर इसे मजहब से न तौला जाए।
अफवाएं चिंगारी का काम करती है
कृपया कर के इसे न फैलाया जाए।
मिल के लड़ना है कोरोना से
बस थोड़ी सी दूरी अपनाई जाये।
इंसानियत ज़िंदा है तो सब मुमकिन है
इंसानियत के बीच मजहब की
दीवार न बनाई जाए।
@tri....
तुम प्यार बरसाना (कविता)
तुम प्यार बरसाना।
नफरत लोग फैलाएंगे तुम प्यार बरसाना
लोग कितना भी ऊगली उठाये तुम पर
तुम मजहब भूल सबको गले लगाना
होली,दीवाली और ईद त्योहार नही, खुशिया है
आपसी मन मुटाव भूल एक दूजे का हाथ बटाना
हमे लड़ाने वाले भी हमारे अपने है
हमे बाटने वाले भी हमारे अपने है
इसलिए दिल की सुनना जरा दिमाग लगाना
जात धर्म से ऊपर इंसानियत है
इंसानियत का दामन चुन आपसी एकता को बढ़ाना
रब सोया नही हम सब में जिंदा है
समय मिले तो उसकी आवाज़ सुन जाग जाना
मजहब की दीवार से ज्यादा मजबूत है इंसानियत
झूठी दीवारों को तोड़ आगे निकल जाना।
नफ़रत लोग फैलाये तुम प्यार बरसाना।
@tri....
रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन (कविता)
रेड ,ग्रीन और ऑरेंज जोन
देश तीन जोन में बट गया है
कहने को तो रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन में
पर सच कहें तो अमीर और गरीब जोन में बट गया है
अमीर वह जो फिक्रमंद है फिर भी डर रहा
गरीब वह जो जरूरतमंद है रास्ते पे चल रहा
वक़्त वक़्त की बात है एक सवाल मन मे उठ रहा।
अमीर महलो में शान से है फिर भी वह क्यो डर रहा।
गरीब बिंदास बिना डरे सड़को पे कैसे निकल रहा।
इन सवालों के जवाब कई किताबो में खंगाले है
पर जवाब तो इन्ही तीन रेड, ग्रीन और येल्लो रंगों में है
जिन रंगों के भेद से कई रंग बना डाले है
सच कहु तो बचपन की किताबो में बहुत कुछ पढ़ा था
हम सब एक ,एकता में बल ऐसा कुछ सुना था
पर आज किताबो की बाते अधूरी सी लगती है
ज़िन्दगी हकीकत कड़वी और सच्ची सी लगती है।
@tri....
देश आगे बढ़ रहा है (कविता)
देश आगे बढ़ रहा है।
ज़िन्दगी का क्या फसाना है
भले घर दूर सही पर घर तो जाना है
जल रही सड़के पाओ में छाले है,
जल रहा बदन पर चल रहे पाव है
सूखे है ओठ सूखे से चेहरे है
दुनिया के लिए ये पागल और बहरे है
हर कोई अपनी बारी का इंतज़ार में है
हर कोई किसी उमीद की फिराक में है
देख सब रहे सभी को बहुत दुख है
दुख से बोखलाए बोल सब रहे
पर कोई कुछ कर नही रहा
सपने और वादों में देश जल रहा
भूख और प्यास से बौखलाया इंसान चल रहा
कभी रेंगता कभी खुद को संभालता
देखो मजबूती से देश आगे बढ़ रहा।
@tri....
वाह रे नेता (कविता)
वाह रे नेता।
वाह रे नेता
पहले थाली बजवाये
फिर मोमबत्ती जलवाए
ताली भी बजवाये
पर फिर भी कोरोना न भगा पाये
मजदूरों को बहलाये
मजदूरों को फुसलाये
मजदूरों पे डंडे बरसाए
पर कोरोना को न भगा पाये
पैदल चलता मजदूर सड़क पे ही मर जाये
पर नेता जी टीवी पर देवता बन कर आये
राशन देने के बहाने
घर पहुचाने के बहाने
घर घर नेता प्रचार करवाये
पर कोरोना न भगा पाये
अब न जाने खुद की रोटी
सेकने के लिए नेताजी कितने पकवान बनाये
पर कोरोना न भगा पाये
नेता है ये सब नेता है
जरूरत पड़ा तो मजदूर क्या है
खुद का देश बेच के खा जाए।
@tri....
सदस्यता लें
संदेश (Atom)