शनिवार, 27 जून 2020

तुम प्यार बरसाना (कविता)

तुम प्यार बरसाना।


नफरत लोग फैलाएंगे तुम प्यार बरसाना 
लोग कितना भी ऊगली उठाये तुम पर 
तुम मजहब भूल सबको गले लगाना
होली,दीवाली और ईद त्योहार नही, खुशिया है
आपसी मन मुटाव भूल एक दूजे का हाथ बटाना

हमे लड़ाने वाले भी हमारे अपने है 
हमे बाटने वाले भी हमारे अपने है
इसलिए दिल की सुनना जरा दिमाग लगाना
जात धर्म से ऊपर इंसानियत है
इंसानियत का दामन चुन आपसी एकता को बढ़ाना

रब सोया नही हम सब में जिंदा है
समय मिले तो उसकी आवाज़ सुन जाग जाना
मजहब की दीवार से ज्यादा मजबूत है इंसानियत
झूठी दीवारों को तोड़ आगे निकल जाना।
नफ़रत लोग फैलाये तुम प्यार बरसाना।

@tri....

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