सोमवार, 13 जुलाई 2020

मेरे भूले अल्फ़ाज़ (ग़ज़ल )


 
मेरे भूले अल्फ़ाज़,
लफ्जो में बयां कैसे करूँ।
किताबो के पन्ने नही,
जिन्हें किताबो में दफ्न कर दु।

मेरे भूले अल्फ़ाज़ ,
लफ्जो में बयां कैसे करूँ।
शब्दो से सजी है जो मोहब्बत,
ओठो से उनका जिक्र कैसे करूँ।

मेरे भूले अल्फ़ाज़ ,
लफ्जो में बयां कैसे करूँ।
चाहत लिखी है इन आँखों मे ,
आंखों को में कैसे पढू।

मेरे भूले अल्फ़ाज़
लफ़्ज़ों पर आकर सिमट से गये
जब उसने कहाँ,
मोहब्बत तो है पर तुमसे नही।
@tri....