मेरे भूले अल्फ़ाज़,लफ्जो में बयां कैसे करूँ।किताबो के पन्ने नही,जिन्हें किताबो में दफ्न कर दु।मेरे भूले अल्फ़ाज़ ,लफ्जो में बयां कैसे करूँ।शब्दो से सजी है जो मोहब्बत,ओठो से उनका जिक्र कैसे करूँ।मेरे भूले अल्फ़ाज़ ,लफ्जो में बयां कैसे करूँ।चाहत लिखी है इन आँखों मे ,आंखों को में कैसे पढू।मेरे भूले अल्फ़ाज़लफ़्ज़ों पर आकर सिमट से गयेजब उसने कहाँ,मोहब्बत तो है पर तुमसे नही।@tri....