शनिवार, 27 जून 2020

फिर शुरवात होगी ज़िन्दगी की (कविता)


फिर शुरुवात होगी ज़िन्दगी की।


फिर नई शुरुवात होगी नई ज़िन्दगी की 
फिर बादलो के बीच से मुस्करायेगा सबेरा
ख़त्म होंगी बेबसी,डर और ज़िन्दगी का अंधेरा
फिर ओठो की मुस्कुराहट लौट आयेगी
फिर मिलेगी आज़ादी खुल के सास लेने की
फिर वही पुराने खुशियों वाले दिन लौट आयेंगे
फिर हम सब अपने अपने कामो पे लौट जाएंगे
फिर उदास सड़को की रौनक लौट आयेगी
फिर रिश्तों की कड़वाहट मिठास में बदल जायेगी
फिर बादल बरसेंगे धरती मुस्कुराएगी
फिर फसलों की हरीयाली सुख का संदेशा लायेगी
फिर प्रकृति ख़ुश होकर अंगड़ाई लेगी
फिर पगडंडियों में फूलो की खुशबु लौट आयेगी
फिर आत्मनिर्भरता के रंग में देश रंग जायेगा
फिर सारे गामा के सुर आसमा में लहरायेंगे
हर तरफ शान्ति होगी इंसानियत के गीतों की
फिर जन गण मन से देश गौरवान्वित हो जायेगा।
फिर नई शुरुवात होगी नई ज़िन्दगी की।

@tri....

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