राधे मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो
जब झुल्फो से तुम खेलती हो
आँचल सर पे रख जब तुम मुस्कुराती हो
तब सारे इन्द्रधनुसी रंग मुझे तुम में दिख जाते है
तुम्हारी मासुमियत तुम्हारा भोलापन
तुम्हारी सादगी मेरे मन को भा जाती है
चुपके चुपके नज़रो से जब तुम मुझे देखती हो
घंटो पनघट पे बैठ जब तुम मेरा इंतज़ार करती हो
मेरी बासुरी की धुन सुन दीवानी हो जाती हो
मेरे लिये जब तुम लोगे के ताने सुनती हो
कृष्ण के प्यार में खोई तुम राधेकृष्ण बन जाती हो।
राधे तुम बिन सारी कृष्ण लीलाये झूठी हो जाती है
तुम्हारे होने से में हु राधे
बिन तुम्हारे कुछ नही हु राधे
@tri....