हिन्दी के हम भक्त है मन की बात बताते है,
पर अपने खुद के सुपुत्र को कान्वेंट में पढ़ाते है,
स्वदेशी चीज़ों का समर्थन हम सब करते है,
पर विदेसी सस्ती चीज़ों से अपना घर भी भरते है,
लोकतंत्र तो अब सिर्फ किताबी बाते है ,
आवाज़ उठाने वाले सीधा जेल में जाते है,
देश का विकास तो भाषणों में सोया हुआ है,
रोजगार न्यूज़ पेपर के पन्नो में खोया हुआ है,
चोरी चकारी घोटालो से लिपटा यह संसार है,
शिक्षा के नाम पे यहाँ चल रहा बाजार है,
एक तरफ यहाँ नारी देवी का अवतार है
दूसरी तरह नारी पर हो रहा अत्याचार है
देश की अर्थव्यवस्था मन की बातो में ही सच्ची है,
भिखारियों की हालत बेरोजगारो से अच्छी है,
राजनीति अब खेल का मैदान बन गयी है,
जनता वोटबैंक की दुकान बन गयी है,
जहाँ जागो वही सबेरा अच्छा सुविचार है
जागो जनता जागो यह मेरा विचार है।
@tri....