बुधवार, 30 दिसंबर 2020

नया साल..

 

      लड़ते झगड़ते ,गिरते पड़ते        
कभी दुख में कभी सुख में
यादों की तिजोरी सजोये 
संभलते हुए आगे बढ़ गया
लो वक़्त के साथ साथ 
यह साल भी गुजर गया 
कई नींद में ही सो गए 
और जो जागे हुए थे..
वो ज़िन्दगी के भीड़ में खो गए
कई रिश्ते बिखरे कई सपने टूटे
कइयों के अपने भी रूठे
अपने अनजाने हो गए
अनजाने अपने हो गए
फिर भी ज़िन्दगी चलती रही
समय के साथ ढलती रही
               कभी आजमाती रही            
तो कभी बदलती रही
दिन महीने साल युही बीतता गया
उम्र का एक साल और चला गया
पर वक़्त का पहिया कभी नही रुका
फिर उम्मीदों के सपने बुनते हुए
आशाओ का सृंगार करते हुए
वक़्त के साथ साथ चलते हुए
हौसलो की उड़ान भरते हुए
कई चुनौतिया साथ लिए
पुराने साल को खुशी खुशी विदा कर
पूरे हर्ष उल्लाश के साथ
नए साल ने दस्तक दिया।
@tri..

रविवार, 20 दिसंबर 2020

रूठना और मनाना

 

मेरा रूठना और तेरा मुझको मनाना
दिल का टूटना फिर तुझसे ही दिल लगाना
बाते न करना और बाते बनाना
कुछ न बोल कर भी बहुत कुछ बोल जाना
आंखे मटकाना और ओठो से मुस्कुराना
खुद भी हँसना और मुझको भी हँसाना
इशारो इशारो में मुझको मनाना
कितना प्यार है मुझसे, ये अहसास कराना
कान पकड़ के उठक बैठक लगाना
फिर भी न मानु तो मेरे करीब आना
"सॉरी" कह के मेरे गले लग जाना
कितने भी झगड़े करना पर दूर न रह पाना
दो पल का गुस्सा पल भर में मिट जाना
यही तो प्यार है कभी रूठना कभी मनाना
आदत है प्यार की प्यार की आदत बन जाना।
          ✍️tri..        

रविवार, 13 दिसंबर 2020

मेरे सच्चे अल्फ़ाज़

 

जय जवान जय किसान
भले हो लाख बेईमान
न गिरने पाए आन बान शान
क्यो की मेरा देश है महान
वक़्त बदला, ट्रेन्ड भी बदला
दुनिया बदली ,देश भी बदला
पर न बदला इंसान
जो वक़्त बेवक़्त बेचे अपना ईमान
पर फिर भी मेरा देश है महान
धरा को चीर कर बीज बोता
मेहनत से अनाज उगाता
आभाओ से रोज है लड़ता
बूंद बूंद पानी को तरसता
कभी है जीता कभी है मरता
पर मिट्टी से कभी जुदा न होता
आज़ादी के पहले भी था रोता
आज़ादी के बाद भी है रोता
मेरे देश का गरीब किसान 
पर फिर भी मेरा देश है महान।
नेताओ का भाषण सुनता
उनके आश्वाशन सुनता
उम्मीदों की बगीया को 
महकाने के चक्कर मे
सपनो का मायाजाल है बुनता
तपता, जलता खुद को है भुनता
मेरे देश का आम इंसान
पर फिर भी मेरा देश है महान।
सीमा की रक्षा है करता
देश के लिए है जीता मरता
परिवार से सदा दूर ही रहता
वक़्त पड़ने पर पीछे न हटता
मेरे देश का वीर जवान
पर हम सब है इन बातों से अनजान
फिर भी मेरा देश है महान।
चाहे पढ़ लो गीता चाहे पढ़ लो कुरान
बाइबल हो या श्री आदि ग्रंथ महान
सभी ग्रंथो का सार एक है 
एक है सब मे ज्ञान
कर्म है दाता कर्म विधाता
कर्म से बनता व्यक्ति महान
कर्म से ही है मानवता की पहचान
तभी बढ़ेगा देश का शान
और बन जायेगा देश महान।
✍️tri..

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

बेटियां..( Pride of nation)

 

वक़्त बदलेगा समाज भी बदल जाएगा।
जिस दिन हर बेटी को उसका हक़ मिल जाएगा।
बेटी जन्म लेगी बाप जस्न मनाएगा।
उस दिन माँ का दिल खुशियों से भर जाएगा।
बेटी सपने बुनेगी बाप उसे रास्ता दिखाएगा।
माँ की ममता संग हर बाग खिलखिलाएगा।
उस दिन संस्कारो की बगिया में हर फूल मुस्कुराएगा।
जिस दिन से भाई -भाई होने का फर्ज निभाएगा।
उस दिन से रक्षा बंधन का वचन सफल हो जाएगा।
जिस दिन बाप अपनी बेटी को बेटी कह के बुलाएगा।
उस दिन बेटी को बेटी होने का हक़ मिल जाएगा।
जिस दिन से समाज दिल से बेटी को अपनाएगा।
उस दिन से बेटी बोझ है यह कलंक मिट जाएगा।
बेटी लक्ष्मी होती है घर की जब परिवार समझ जाएगा।
उस दिन बेटी को बेटी होने पर गर्व हो जाएगा।
जिस दिन से बेटी को बेटी,बहु को बहु , माँ को माँ
बहन को बहन और पत्नी को पत्नी ,
होने का सम्मान मिल जाएगा।
उस दिन से यह पुरुष प्रधान देश बदल जाएगा।
बेटी अभिमान है देश की बुनियाद है।
समाज का उत्थान है पिता की पहचान है।
जब पुरुष प्रधान समाज इस बात को समझ जाएगा।
उस दिन से हर बेटी का जीवन सवर जाएगा।
महिला संग पुरुष होगा जो प्रधान कहलाएगा।
शक्ति बिना शिव का कोई मतलब न रह जाएगा।
यह बात जब देश का हर वर्ग समझ जाएगा।
उस दिन से समाज बदलेगा यह देश भी बदल जाएगा।
@tri..

शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

सब मोह माया है।

 

जग है माया खेल है जीवन
कब तक खुद को बचाएगा?
जैसा कर्म करेगा बन्दे
वैसा ही फल पायेगा।
थोड़ा थोड़ा लूट पाट कर
कितना माल बनाएगा।
अहंकार के महल में 
कब तक दीप जलाएगा!
सब है तेरा कहता है तू
कब तक यह कह पायेगा।
आज तेरा जो भी है बन्दे
कल किसी और का हो जाएगा।
क्या सोना है क्या चाँदी है
सब धरा रह जायेगा।
रिश्ते नाते झूठे बन्दे
एक दिन आँख दिखाएंगे।
अभी समझ न पाया गर तु
फिर कभी समझ न पायेगा।
खाली हाथ तू आया बन्दे
खाली हाथ ही जायेगा।
मिट्टी से बना है जीवन
सब मिट्टी में मिल जाएगा।
सादा जीवन उच्च विचार
तुझे अमर कर जाएगा।
@tri..

रविवार, 22 नवंबर 2020

क्या लिखूं .. सोच रहा हु

 

दिल के जज्बात लिखूं
या मन की व्यथा..
अधूरे अल्फ़ाज़ लिखूं
या पूरी कविता..
क्या लिखूं यह सोच रहा हूं
शब्दो की भीड में 
कही भावनाये दब न जाए
डर से सिमटे अल्फ़ाज़ 
कही खो न जाए..
दुख की बात लिखू
या सुख के गीत
क्या लिखूं यह सोच रहा हूं
सत्य का अहसास लिखू
या झूठ का बाजार
मातृभूमि की पीड़ा लिखू
या इंसान की इंसानियत
क्या लिखूं यह सोच रहा हु
आने वाले कल पर लिखू
या बीते पल पे लिखू
आंखों की भाषा लिखू
या शब्दो की परिभाषा
क्या लिखूं यह सोच रहा हु
लब से निकलते बोल लिखू
या दिल के एहसास
मन के अंधेरे कोने में
बस उजियारा आ जाए
ऐसा कुछ लिखू सोच रहा हु।
@tri..

शनिवार, 14 नवंबर 2020

कुछ न होकर भी खुश रहने का अंदाज़

 

घर से कुछ दूर सड़क के किनारे
बाजार की भीड़ में 
मिठाई के दुकान के पास
सिक्के गिनते हुए मैंने उसे देखा,
उसकी आँखों मे दीवाली के उत्साह को 
मैंने सिक्को की खनक में जीते हुए देखा,
चाहत उसकी भी रंग बिरंगे कपड़ो की 
पर अपनी फटे पुराने कपड़ो को
साफ करते हुए मैंने उसे देखा,
मासूम सी आंखों की नमी को
चेहरे की मुस्कुराहट के पीछे
छुपाते हुए मैंने उसे देखा,
बाजार की भीड़ में लड़के को अकेले 
खामोश एक कोने में खड़े
खुद के ग़मो को पीते हुए मैंने देखा,
जब मैं उसके नजदीक गया
और पूछा,"बेटा क्या चाहिए तुम्हे?
हल्की सी मुस्कुराहट के साथ
सिर हिलाकर 'ना' करते हुए मैंने उसे देखा,
कमाल की गरीबी 
और गजब का स्वाभिमान 
उस बच्चे में मैंने देखा,
इतनी छोटी सी उम्र में 
उसके अंदर 'ज़मीर' को पलते हुए मैंने देखा,
कुछ न होकर भी खुश रहने का अंदाज़
उस बच्चे की मुस्कुराती आंखों में मैंने देखा।
   @tri....      

गुरुवार, 12 नवंबर 2020

उम्मीदो की दीवाली


मिट्टी के दीये बनाने वाला 
आशा के दीये बनाता है,
कई सपने और उम्मीदो को
मिठ्ठी के दीये में सजाता है,
भरी दोपहरिया उम्मीदो संग
फटे पुराने कपड़े में ही
दीये बेचने निकल जाता है,
"दीये ले लो"
"मिट्टी के दीये ले लो"
बड़े प्यार से लोगो को बुलाता है,
ऐसे ही कई उम्मीदे 
कभी चौराहे ,कभी बाज़ारो में 
कभी चौखट पर दिख जाते है,
जरूरतों को पूरी करने के चक्कर में
खुद की दीवाली भूल जाते है,   
तो क्यो न इस बार की दीवाली
कुछ अलग अंदाज़ में मनाई जाए,
जहाँ तक हो सके दीये की रोशनी
उन तक पहुचाई जाए ,
जिनकी मेहनत से 
हमारे छोटे छोटे सपने पूरे होते है ,
जिनके आशीर्वाद से 
हर घर रोशन होते है,
क्यो न इन नन्हे उम्मीदो को 
हौसलो की उड़ान दी जाए,
इस दीवाली इनके ओठो पर 
थोड़ी ही सही मुस्कान दी जाए।
@tri....

शनिवार, 7 नवंबर 2020

काश तेरे जैसी ही दुनिया होती..

 

जितनी प्यारी तुम्हारी आंखे है 
काश उतनी ही प्यारी दुनिया होती।
आसमान जितने सपने होते 
उम्मीदों से ऊंची उड़ान होती ।
न गिरने का भय होता 
न उड़ने की चिंता ।
प्यारी सी दुनिया मे 
प्यारे प्यारे लोग होते।
तुम्हारी तरह मुस्कुराते 
तुम्हारी तरह ही बाते करते ।
बातो से घाव भर जाता 
दर्द में भी दिल मुस्कुराता।
पर सपनो की दुनिया की
हकीकत कुछ और है ।
सच की कीमत कम है
झूट का ही शोर है।
उम्मीदे मंदी में है 
सपनो का भाव कमजोर है।
काँटो से सजी है दुनिया
पर ऊची उड़ान का जोर है।
हर कोई हर किसी की टांग खीचता
मतलब के बादल घनघोर है।
सच और झूठ के चश्मे पहने
लोग कितने अनमोल है।
@tri....

सोमवार, 2 नवंबर 2020

ज़िन्दगी की दोहरी चाल..

 

ज़िन्दगी अक्सर दोहरी चाल चलती है
नाम भी देती है, बदनाम भी करती है
प्रसंशा भी देती है,निंदा भी करती है
सम्मान भी देती है ,अपमान भी करती है
ज़िन्दगी के इस दोहरी चाल में इंसान बुरा फसता है
ज्यादा पाने की लालच में खुद को खो बैठता है
अपने पैसे और ताकत पर घमंड करता है
उसी घमंड से ' मैं 'का जन्म होता है
'मैं ' से अहंकार की उत्पत्ति होती है
अहंकार आदमी को सत्य से दूर कर देता है
असत्य धीरे धीरे अपनो को दूर कर देता है
रिश्ते काँच के टुकड़ो की भांति बिखर जाते है
अंत मे पैसे और ताकत बस नाम के रह जाते है 
जिस्म मिट्टी की मिट्टी में मिल जाती है
कर्म अच्छा हो तो नाम कर जाती है 
कर्म बुरे हो तो बदनाम हो जाती है 
ज़िन्दगी है यारो जीना सीखा जाती है
कभी गीता कभी कुरान बन जाती है 
इंसान को इंसानियत का पाठ पढ़ाती है।
फिर भी इंसान ज़िंदगी को समझ नही पाता है
ज़िंदगी के दोहरी चाल में अक्सर फस जाता है।
@tri....

बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

विश्वास की उड़ान

 

कल की सोच में 
आज परेशान है क्यो?
हाथ की लकीरों को देख 
हैरान है क्यो ?
माना घोर अंधेरा है,
पर किस बात ने तुझे घेरा है?
भाग्य के भरोसे बैठा, 
तो अंधेरा न मिट पाएगा;
कर्म की पूजा कर 
भाग्य तेरा बदल जाएगा |
जो होना है वो होगा ही,
तेरे रोके न रुकेगा ,
जो तुझे मिलना है ,
वो जरूर तुझे मिलेगा।
तेरे कर्म का फल 
      कोई और न खाएगा |   
जैसा तू कर्म करेगा, 
वैसा ही फल पाएगा|
माना आज वक़्त बुरा है!
पर युही चला जाएगा|
आज पतझड़ का मौसम है 
कल हरियाली आएगा।
तेरे हौसले के आगे,
कुछ भी न टिक पाएगा |
हो कर मायूश 
खो रहा है धैर्य क्यो? 
आज कुछ नही है तू !
कल सूरज बन जाएगा |
तेरे विश्वास से..
हर कोना जगमगाएगा।
@tri....
                                    

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

ज़िन्दगी सुन जरा..

 

मंजिल की तलाश में ज़िन्दगी बदलती गयी
वक़्त की रफ्तार में उम्र ढलती गयी
दिमाग ने सोचने का मौका ही न दिया
समय के साथ कभी समझौता न किया
चाहे तकनीक हो या काम का दबाव
आपसी संबंध हो या शिक्षा का क्षेत्र
भागती ज़िन्दगी ने हक्का बक्का कर दिया
मन की खिड़कियों को खोलने का वक़्त ही न दिया
जब भी जरूरत पड़ी मदद की
नजरे अपनो की तलाश करती रही
अपने भी वक़्त के साथ बदलते गए
रिश्ते झूट थे जो धीरे धीरे गलते गए
मन भयभीत था जो डरता रहा
उत्तर की तलाश में आवारा भटकता रहा
उत्तर तो भीतर ही निहित था
अंतर मन के किसी कोने में सुरक्षित था
जब मन को एकाग्र किया
खुद को देखने का प्रयास किया
तब दिल ने जवाब दिया
मंजिल की तलाश में क्यो भटक रहा है तू
कड़ी धूप में क्यो जल रहा है तू
रुक थोड़ा अए ज़िन्दगी आराम कर 
थक गया होगा थोड़ा विश्राम कर
मंजिले मिलेगी तुझे रास्तो पर ध्यान दे
खुशिया बिखरी है यहाँ तू उन्हें पहचान दे
माना सफलता के लिए मंजिले जरूरी है
पर मंजिल तक पहुचने के लिए जीना भी जरूरी है 
प्रकृति में खुशिया है खुल कर आनंद ले
कह रही है ज़िन्दगी सुन जरा तू ध्यान से
"मंजिलों की फिक्र में उम्र बर्बाद मत कर
रास्तो का लुत्फ़ उठा डर को मार कर।"
@tri....

रविवार, 18 अक्टूबर 2020

कलियुग और इंसान


कलयुग को ईश्वर का वरदान है
सत्य निर्धन है तो झूठ धनवान है
धर्म कर्म की यहाँ दुकान है
दिखावे की बस पहचान है
मोती खाता कौवा अनजान है
दाना चुगता हंश हैरान है
जिसकी लाठी उसकी भैंस यही गुणगान है
पैसों से मिले प्रतिभा का सम्मान है 
कोई खरीदता कोई बेचता ईमान है
सब अपने अपने मे परेशान है
यहाँ तो कदम कदम पे बेईमान है
जो इंसानियत को कर रहे बदनाम है 
सच्चाई और इमानदारी तो सिर्फ नाम है
जो इस पर चल रहा उसका जीना हराम है
धर्म की राजनीति में आज घिरा हिन्दुस्तान है
सीमा पे तैनात कह रहा हर जवान है
@tri....

बुधवार, 14 अक्टूबर 2020

कलाम तुझे सलाम

 

न हिन्दू थे न मुसलमान
थे हिन्दुस्तान की शान
बच्चो के थे दिल के तारे
युवाओं के आदर्श निराले
गरीबी में थे पले बड़े
ज़िद्द पे अपने रहे अड़े
कभी मुश्किलों से डरे नही
मिली चोट पर रुके नही
निरंतर किया उन्होंने अभ्यास 
कभी न हुए वे हताश
हिम्मत लगन उनके खून में था
साहस उनके अस्तित्व में था
आदर्श संस्कार माँ से मिला
ईमादारी का सबक पिता ने दिया
कर्तब्य पथ ने निडर बना दिया
सपनो ने जीना सीखा दिया 
सपने थे आसमान को पाने की
हौसला था इतिहास बनाने की
करते रहे प्रयास पर प्रयास 
बनाते गए मिसाइल ख़ास
परमाणु परीक्षण कर बने महान
देश को हुआ इनपर अभिमान 
देश ने दिया भारतरत्न का सम्मान
देश ने गाया गौरवगान
मिसाइल मैन तुझे प्रणाम
कलाम तुझे सलाम।
@tri....

सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

आत्मनिर्भर फेरीवाले

 


कल अचानक सड़क का नजारा देखने लायक था
फेरीवाले अपने सामान समेटे यहाँ वहाँ भाग रहे थे
ऐसा लग रहा था मानो कोई तूफान आ रहा हो
वहाँ से गुजरने वाले लोग खड़े तमाशा देख रहे थे
अचानक सामने से एक बड़ी सी गाड़ी गुजरती है
सड़क के किनारे बाजार के बीच वह रुकती है
गाड़ी के रुकते ही कुछ लोग गुस्से में उतरते है
बाजार से भाग रहे फेरीवालों को पकड़ कर मारते है
सामान से भरे टोकरियों को छिन कर फेक देते है
उनके फल और सब्जियों को अपने गाड़ी में भरते है
और धमकी देते हुए  तेजी से वहाँ से निकल जाते है 
समझ नही आया कि फेरीवालों का अपराध क्या है
क्या बाजार में फल सब्जियां बेचना उनका अपराध है?
या आत्मनिर्भर बन रोजगार करना अपराध है?
जब एक फेरीवाले से मैंने पूछा कि ये लोग कौन थे 
क्यो आप लोगो की सब्जियां, फल ठेले सहित ले गए?
जवाब मिलते ही दिल और दिमाग शांत सा हो गया
फेरीवाले ने बड़े ही गुस्से में तिलमिलाकर जवाब दिया, 
"साहब बाजार में फेरीवालों को हफ्ता देना होता है
जो फेरीवाला हफ्ता नही देता उसका यही हाल होता है"
मैंने पूछा"वैसे ये हफ्ता किसके कहने पे लिया जाता है?

फेरीवाले के जवाब ने तो नेताओं की पोल ही खोल दी
जो कुछ मुझे नही पता था उसकी नम आंखों ने बोल दी
यारो सच हम सबको को पता है पर डर से कुछ बोलते नही
इंसान है पर बंदर की तरह गुलाटी मारना हम छोड़ते नही 
हर किसी के जुबान पर है आत्मनिर्भर बनो आत्मनिर्भर
आप खुद ही सोचिये कोई इस तरह कैसे बने आत्मनिर्भर?
@tri....

शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020

रिक्सेवाला

 

हर किसी के गम में 
अपने गम की झलक पाता है
एक बूढ़ा रिक्से वाला 
अपनी धुन में चला जाता है
तन पे फटा पुराना कपड़ा लपेटे 
छालों से भरे नग्न पाव समेटे
छोटी छोटी उम्मीदे संजोकर 
हर सुबह कमाने निकल जाता है
एक बूढ़ा रिक्से वाला 
अपनी धुन में चला जाता है
धूप में खड़ा होकर 
वह हर मुसाफिर को बुलाता है
    मुसाफिर मिलते है     
                मंजिल की तरफ बढ़ जाता है                 
अपने खून को जला कर 
मुसाफ़िर को मंजिल तक पहुचाता है
एक बूढ़ा रिक्से वाला 
अपनी धुन में चला जाता है
मुसाफ़िर के अपशब्द सुनता है
और मन ही मन मुस्कुराता है 
ज्यादा कमाने की लालच नही
बस दो रोटी की चाहत में 
हर रोज युद्ध पर निकल जाता है
एक बूढ़ा रिक्से वाला 
अपनी धुन में चला जाता है।
@tri....

मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020

मेरे अल्फ़ाज़ तेरे नाम से...

 


मेरे अल्फ़ाज़ है बस तेरे ही नाम से
लब्जो की है किताब बस तेरे ही नाम से
किताब के हर पन्ने में तस्वीर तेरी ही है
पन्नो पर लिखें अल्फ़ाज़ भी है तेरे नाम से
मेरे हर लफ्ज़ बस तुझे ही याद करते है
तेरी खूबसूरती पे शायरी किया करते है
मेरे कलम जब शब्दो की उड़ान भरते है
बड़ी ही खूबसूरती से तेरा जिक्र किया करते है
मैं कैसे मनाऊ दिल को की तेरा नाम न लु
दिल के जज्बात है बस तेरे ही नाम से
देने को तो कुछ नही तुझे दिल के सिवा
पर लिख दिया आसमान मैंने तेरे नाम से
@tri....

शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020

मेरी आवाज (हर नारी के दिल की बात)

 

मैं लड़की हूँ ओस की बूंदों सी

गंगा की तरह पवित्र मेरा मन है

अपने सपनो को मार कर जीती हूँ 

हर वक़्त आसूं के घुट पीती हूँ 

यह वही समाज है जहाँ मैं देवी हूँ  

किसी की माँ किसी की बेटी हूँ 

किसी की बहन किसी की बहू हूँ 

किसी की प्रेमिका किसी की पत्नी हूँ 

इतने सारे रिश्तों को संजोती हूँ 

अपनो की खुशी के लिए जीती हूँ 

दुख साझा नही करती अकेले मे रो लेती हूँ 

सब कुछ तो करती हूँ समाज के लिये

फिर भी नज़रे मुझपे ही क्यों उठती है

हर दिन मेरा बलात्कार होता है 

मेरे सपनों का चीर फाड़ होता है

मेरे जिस्म का बलात्कार होता है

मेरे जज्बात का तिरस्कार होता है

बलात्कार के बाद राजनीति होती है

कुछ दिन तक मैं सुर्खियों में होती हूँ 

कुछ महीनों तक लोगो के स्टेटस पर

फिर मेरे नाम पर मोमबत्ती जलाई जाती है

फिर इंसाफ की बातें चलाई जाती है

हर वक़्त हर पल हर क्षण मैं ही मरती हूँ 

महाभारत से लेकर आज तक 

सिर्फ मेरी इज्जत ही तो उतारी गयी है

अक्सर मुझे बचलन बना दिया जाता है 

पर आदमी के चाल चलन पर सवाल नही उठता है

मैं वही देवी हूँ  जो नवरात्र में सजाई जाती हूँ 

कभी दुर्गा कभी काली रूप मे पूजी जाती हूँ 

कहते हो मुझे देवी,तो देवी का सम्मान भी करो 

मैं तुम्हारे देश की लाज हूँ  मुझे बदनाम तो न करो।

रविवार, 27 सितंबर 2020

गम है पर हौसले कहाँ कम है

हर घर मे एक कमरा कम है
हर तिजोरी में एक रुपया कम है
अच्छा बुरा तो सिर्फ भ्रम है
ज़िन्दगी में टेंशन कहाँ कम है
किसी के सर पर छत नही 
किसी के तन पे कपड़े नही 
किसी को खाने को रोटी नही 
किसी को कोई समस्या नही 
फिर भी गम कहाँ कम है
हर वक़्त बेबस है ज़िन्दगी 
कुछ न कुछ पाने का मन है
लालच में डुबे इंसान का तन है
माना कभी खुशी कभी गम है
हिम्मत गर हो तो हर गम कम है
मनाया जाये तो खुशियों के 
त्यौहार कहाँ कम है
जियो तो अपनी शर्तों पर ज़िन्दगी
ठान लिया तो हौसला कहाँ कम है
खोल अपने पंखों को छू ले आसमान
निश्चय कर लिया यदि उड़ने का 
तो आसमान कहाँ कम है।
@tri....


 

बुधवार, 23 सितंबर 2020

कठपुतली


कठपुतली का खेल बहुत पुराना है
नचाता कोई और खुश होता जमाना है
धागों के सहारे नाचती कठपुतली
उंगली पे नचाता अदृश्य कलाकार
उनका अपना न कोई मन है न विचार
न ही कोई जज्बात और न कोई अरमान
बस इशारा मिलते ही खेल दिखाती है
खेल खत्म होते ही बक्से में सिमट जाती है
कठपुतली है साहब जीना सिखाती है
देखने वालों को असली चेहरा दिखाती है
अलग अलग पात्र बन जीवन मे आती है
कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है
जीवन का हर एक पात्र कठपुतली है
इस सच्चाई से रूबरू कराती है।
@tri....

सोमवार, 21 सितंबर 2020

दिल से दिल की बात

 

तेरी आहट से में तो वाकिब हु
तू तो नही है, पर मैं तो शामिल हु
जो भी हो रहा है, ये ना मेरा क़सूर है
जो भी हो गया है, ना तेरा क़सूर है
कहता हूं मैं साथ हु ,मैं तेरे पास हु
कुछ भी नही मैं तेरा, सिर्फ़ अहसास हु
आदते मजबूरियां, बन गयी अब दूरियां
जी रहा हु बस, यही तेरी यादों में कही
आरजू मिट सी गयी, जुस्तजू मिट से गये
न कुछ बचा है अब, न कोई अब खास है
खुश रहो तुम सदा,नए सफर की शुरुवात हो
न रहे कोई गम कही, ज़िन्दगी सदा आबाद हो
दिल की तमन्ना यही, फिर कही मुलाक़ात हो
दिल से दिल फिर मिले, खुशियों की बरसात हो
@tri....

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

मैं और तुम beautiful romantic poem)


कभी तुम तन्हा करती हो
कभी तुम साथ रहती हो
कभी तुम रुठ जाती हो
कभी खुद मान जाती हो
आंखों से इशारे करती हो
बहुत कुछ बोल जाती हो 
सरमा के आहे भरती हो 
दिल जीत जाती हो
आंखे जब बंद करता हु 
तुम सपनो में आ जाती हो,
आईना जब भी देखता हूं 
नज़र तुम ही आती हो,
कभी रात में चाँद की चाँदनी बन 
लोरी तुम सुनाती हो
सुबह सूरज की किरणे बन 
मुझको तुम जगाती हो।
@tri....

सोमवार, 14 सितंबर 2020

जन जन की भाषा हिन्दी



जन जन की भाषा हिन्दी
देश का गौरव गान है।
हिन्द देश हिन्दुस्तान हमारा
हिन्दी हमारी पहचान है।
भारत माँ के माथे की बिंदी
हिन्दी हमारी आन है।
सभी भाषाओं की बहन है हिन्दी
हिन्द वतन की शान है।
हिन्दी से है रोशन कविता
लेखक का अभिमान है।
हिन्दी हमारी मातृभाषा
हिन्दी हमारी जुबान है।
हिन्दी देश की राष्ट्रभाषा
हम सबका स्वाभिमान है।
@tri....

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

सपने



कुछ सपने मैंने खरीदे थे 
अपनी नीदों को बेच कर,
न जाने वो कहाँ खो गए
बिस्तर के नीचे देखा
तकिये के अंदर तलाशा
उम्मीदों के गुलक में ढूढा
पूरी अलमारी खंगाल डाली
बहुत ढूढा पर कही नही मिले
नज़र पड़ी खिड़की के बाहर
विश्वास के खंबे पर बैठे
अपने पंखों को सहलाते
मुझे देख मुस्कुरा रहे थे
ऐसा लग रहा था कि 
मानो ऊची उड़ान भरने वाले हो।
@tri....

बुधवार, 2 सितंबर 2020

मन की बात (poem)


हिन्दी के हम भक्त है मन की बात बताते है,
पर अपने खुद के सुपुत्र को कान्वेंट में पढ़ाते है,
स्वदेशी चीज़ों का समर्थन हम सब करते है, 
पर विदेसी सस्ती चीज़ों से अपना घर भी भरते है,
लोकतंत्र तो अब सिर्फ किताबी बाते है ,
आवाज़ उठाने वाले सीधा जेल में जाते है,
देश का विकास तो भाषणों में सोया हुआ है, 
रोजगार न्यूज़ पेपर के पन्नो में खोया हुआ है,
चोरी चकारी घोटालो से लिपटा यह संसार है,
शिक्षा के नाम पे यहाँ चल रहा बाजार है,
एक तरफ यहाँ नारी देवी का अवतार है
दूसरी तरह नारी पर हो रहा अत्याचार है
देश की अर्थव्यवस्था मन की बातो में ही सच्ची है,
भिखारियों की हालत बेरोजगारो से अच्छी है,
राजनीति अब खेल का मैदान बन गयी है,
जनता वोटबैंक की दुकान बन गयी है,
जहाँ जागो वही सबेरा अच्छा सुविचार है
जागो जनता जागो यह मेरा विचार है।
@tri....

रविवार, 30 अगस्त 2020

दिल ज़िद्दी है (poem)



दिल भी कितना ज़िद्दी है
कुछ मानता नही,
अमीरी गरीबी से दूर है
जात धर्म जानता नही,
झरनो सा गिरता है,
नदियों सा बहता है, 
गिरता- संभलता है,
अपनी धुन में चलता है,
दिल है या समुंदर
कोई जानता नही,
दिल भी कितना ज़िद्दी है
कुछ मानता नही।
@tri....

शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

ज़िन्दगी (poem)



ज़िन्दगी तुझपे ऐतबार क्यो न करे
ज़िन्दगी तुझसे प्यार क्यो न करे
वक़्त बेवक़्त साथ निभाया है तूने
हर जख्मो पे मलहम लगाया है तूने
खुश होने का राज तू ही तो है ज़िन्दगी
मन उदास हो तो सॉज तू ही तो है ज़िन्दगी
हर सवालों का जवाब भी तो है ज़िन्दगी
खटास है तो मिठास भी तो है ज़िन्दगी
ज्यादा ख्वाहिशें तो नही तुझसे ये ज़िन्दगी 
जो भी दिया वो कम भी नहीं ये ज़िन्दगी
आ बैठ थोड़ा गप्पे लगाते है ज़िन्दगी
तू भी थक गई होगी भागते भागते ज़िन्दगी
@tri....

मंगलवार, 25 अगस्त 2020



उमापुत्र हो रुद्रप्रिय हो
प्रथमेश्वर नमो नमः
नमो नमः नमो नमः 
गणपति बप्पा नमो नमः
लम्बकर्ण हो लम्बोदर हो
मूषकवाहन नमो नमः
नमो नमः नमो नमः 
गणपति बप्पा नमो नमः
ओमकार हो पीताम्बर हो
महागणपति नमो नमः
नमो नमः नमो नमः 
गणपति बप्पा नमो नमः
बुद्धिविधाता बुद्धिप्रिय हो
मयूरेश्वर नमो नमः
नमो नमः नमो नमः 
गणपति बप्पा नमो नमः
विघ्नविनाशक विघ्नेश्वर हो
वरदविनायक नमो नमः
नमो नमः नमो नमः 
गणपति बप्पा नमो नमः
चिंतामणी हो विश्वगुरु हो
मंगलमूर्त्ति नमो नमः
नमो नमः नमो नमः 
गणपति बप्पा नमो नमः
प्रथमपूज्य हो मोदकप्रिय हो
अष्टविनायक नमो नमः
नमो नमः नमो नमः 
गणपति बप्पा नमो नमः
सिद्धिदाता कृपासिंधु हो
सिद्दिविनायक नमो नमः
नमो नमः नमो नमः 
गणपति बप्पा नमो नमः
@tri....

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

गणपति बप्पा प्यारे प्यारे(poem)



शिवजी के है राज दुलारे
माँ गौरी की आंखों के तारे,
देवों में प्रथम देव हमारे
गणपति बप्पा प्यारे प्यारे,
मूसक है इनकी सवारी
माता पिता के बड़े आज्ञाकारी,
रिद्धि सिद्धि के है ये दाता
हम सबके है भाग्य विधाता,
मोदक इनको खूब है भाता
कृपा सिंधु ये बुद्धि विधाता,
जहाँ कदम इनका पड़ जाता
शुभ और लाभ से घर भर जाता,
इनके चरणों मे जो भी आता
मनवांछित फल है वो पाता।
@tri....

मंगलवार, 18 अगस्त 2020

आँखे (The words of heart)


आँखे है या आईना
सच की परछाई सी
रंग बिरंगी तितली सी
कड़कड़ाती बिजली सी
चाँद की चाँदनी सी
गहराई सागर सी
जलती हुई कोई ज्वाला सी
प्यार की बारिश सी
शब्दो की खामोसी सी
किसी प्यासे की फरियाद सी
यादों की हमसफर सी
लब्जो की किताब सी
प्यार में डूबी स्याही सी
मन को शीतल करती 
चंदन की खुश्बू सी
नशे में डूबी ....
आँखें है या मधुशाला।
@tri....

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

मेरा भारत,मेरी जान,मेरा हिन्दुस्तान



चंदन है भारत की माटी 
परमेश्वर का धाम है,
जहाँ सबेरा शंख बजाता
लोरी गाती हर शाम है,
उत्तर में रखवाली करता
हिमालय जिसका नाम है,
कई भाषाओं से सजी ये धरती
महापुरषो का गांव है,
नदियों में जननी है सबकी
माँ गंगा को प्रणाम है,
आदर्शो का पाठ पढ़ाती
गीता,बाइबल,कुरान है,
जात पात धर्म अनेक यहाँ पर
माँ सबकी पर एक है,
त्योहारों का अमर देश यह
अनेकता में एकता का संदेश है,
तीन रंगों से रंगा तिरंगा
हम सब की पहचान है,
हर हिंदुस्तानी के दिल की धड़कन
मातृभूमि की यह शान है,
नमन है भारत माँ तुम को
हर कण में जयगान है,
मेरा भारत मेरी जान
मेरा हिन्दुस्तान है।
@tri....

मंगलवार, 11 अगस्त 2020

कृष्ण सुदामा हरि हरि (poem)




इतिहास के पन्नो में दोस्ती की अमर कहानी है,
जैसे शीतल निर्मल और पवित्र गंगा का पानी है,
वस्त्र पुराने,नंगे पांव,नाम सुदामा कृष्णमित्र कहलाते है,
भूल कर हर पीड़ा गिरधर से मिलने द्वारिका पहुच जाते है,
सुदामा नाम सुन द्वारकाधीश नंगे पाँव ही दौड़े चले आते है,
मित्र सुदामा को देख बिना सकुचाये गले लग जाते है,
आदर सत्कार कर सुदामा को राजगद्दी पर बिठाते है,
खून से सने सुदामा के पैरों को देख अश्रु छलक जाते है,
मित्र भक्ति में लीन प्रभु सुदामा के पैर धुंवे जाते है,
मित्र स्नेह की ताकत देखो कृष्ण सुदामा बन जाते है,
छोड़कर सारे भेदभाव ,मित्र की नज़र में एक हो जाते है,
मित्र सुदामा जैसा हो तो स्वयं भगवान मित्र बन आते है,
मित्र कृष्ण जैसा हो तो निर्धन मित्र धनवान हो जाते है।
@tri....

मंगलवार, 4 अगस्त 2020

कड़वा सच (poem)



वाह रे दुनिया सच सब सुनना चाहते है
पर सच बोलना कोई नही चाहता,
आदमी कितना भी बेईमान क्यो न हो
पर चाहता है उसके बच्चे ईमानदार हो,
इंसान कितना भी भ्रष्ट क्यो न हो
पर चाहता है उसका चौकीदार ईमानदार हो।
बस यही है दुनिया यारो बईमानों में हम ढूढ़ते है
विरासत में मिली ईमानदारी।
@tri....

शनिवार, 1 अगस्त 2020

दोस्तो की खट्टी मीठी यादे (poem)




कुछ खट्टी-मीठी और प्यारी-प्यारी बाते, 
कुछ अधूरी सी अनकही फरियादें,
यादों में आंखे नम है और हो रही बरसातें,
बरसातों में कुछ कमीने दोस्तो की यादे,
यादों में ख्वाब और सपनों से सजी राते,
रातो में भी हम करते थे दोस्तो से बाते,
बातो-बातो में एक दूसरे की व्हाट लगाते,
सुबह होते ही फिर से दोस्त बन जाते,
लेक्चर में दुसरो की टिफ़िन हम खाते,
पकड़े जाने पर दोस्तो का नाम बताते,
चन्दा जमा कर बर्थडे पार्टी हम मनाते,
Exams में एक दूसरे का सहारा बन जाते
दोस्तो से कोई बात हम कभी नही छुपाते,
वक़्त पर दोस्तो के लिए जान पे खेल जाते,
गलतियां करते और खुद को हम बचाते,
सच सामने आये तो दोस्त को बकरा बनाते,
फिर एक दूसरे को मनाते और यकीन दिलाते,
इन्ही खट्टी मीठी यादों से आंखों में होती है बरसाते,
यही सोचते है की काश वो दोस्त फिर मिल जाते।
@tri....