गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

ज़िन्दगी सुन जरा..

 

मंजिल की तलाश में ज़िन्दगी बदलती गयी
वक़्त की रफ्तार में उम्र ढलती गयी
दिमाग ने सोचने का मौका ही न दिया
समय के साथ कभी समझौता न किया
चाहे तकनीक हो या काम का दबाव
आपसी संबंध हो या शिक्षा का क्षेत्र
भागती ज़िन्दगी ने हक्का बक्का कर दिया
मन की खिड़कियों को खोलने का वक़्त ही न दिया
जब भी जरूरत पड़ी मदद की
नजरे अपनो की तलाश करती रही
अपने भी वक़्त के साथ बदलते गए
रिश्ते झूट थे जो धीरे धीरे गलते गए
मन भयभीत था जो डरता रहा
उत्तर की तलाश में आवारा भटकता रहा
उत्तर तो भीतर ही निहित था
अंतर मन के किसी कोने में सुरक्षित था
जब मन को एकाग्र किया
खुद को देखने का प्रयास किया
तब दिल ने जवाब दिया
मंजिल की तलाश में क्यो भटक रहा है तू
कड़ी धूप में क्यो जल रहा है तू
रुक थोड़ा अए ज़िन्दगी आराम कर 
थक गया होगा थोड़ा विश्राम कर
मंजिले मिलेगी तुझे रास्तो पर ध्यान दे
खुशिया बिखरी है यहाँ तू उन्हें पहचान दे
माना सफलता के लिए मंजिले जरूरी है
पर मंजिल तक पहुचने के लिए जीना भी जरूरी है 
प्रकृति में खुशिया है खुल कर आनंद ले
कह रही है ज़िन्दगी सुन जरा तू ध्यान से
"मंजिलों की फिक्र में उम्र बर्बाद मत कर
रास्तो का लुत्फ़ उठा डर को मार कर।"
@tri....

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