बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

विश्वास की उड़ान

 

कल की सोच में 
आज परेशान है क्यो?
हाथ की लकीरों को देख 
हैरान है क्यो ?
माना घोर अंधेरा है,
पर किस बात ने तुझे घेरा है?
भाग्य के भरोसे बैठा, 
तो अंधेरा न मिट पाएगा;
कर्म की पूजा कर 
भाग्य तेरा बदल जाएगा |
जो होना है वो होगा ही,
तेरे रोके न रुकेगा ,
जो तुझे मिलना है ,
वो जरूर तुझे मिलेगा।
तेरे कर्म का फल 
      कोई और न खाएगा |   
जैसा तू कर्म करेगा, 
वैसा ही फल पाएगा|
माना आज वक़्त बुरा है!
पर युही चला जाएगा|
आज पतझड़ का मौसम है 
कल हरियाली आएगा।
तेरे हौसले के आगे,
कुछ भी न टिक पाएगा |
हो कर मायूश 
खो रहा है धैर्य क्यो? 
आज कुछ नही है तू !
कल सूरज बन जाएगा |
तेरे विश्वास से..
हर कोना जगमगाएगा।
@tri....
                                    

1 टिप्पणी: