रविवार, 27 सितंबर 2020

गम है पर हौसले कहाँ कम है

हर घर मे एक कमरा कम है
हर तिजोरी में एक रुपया कम है
अच्छा बुरा तो सिर्फ भ्रम है
ज़िन्दगी में टेंशन कहाँ कम है
किसी के सर पर छत नही 
किसी के तन पे कपड़े नही 
किसी को खाने को रोटी नही 
किसी को कोई समस्या नही 
फिर भी गम कहाँ कम है
हर वक़्त बेबस है ज़िन्दगी 
कुछ न कुछ पाने का मन है
लालच में डुबे इंसान का तन है
माना कभी खुशी कभी गम है
हिम्मत गर हो तो हर गम कम है
मनाया जाये तो खुशियों के 
त्यौहार कहाँ कम है
जियो तो अपनी शर्तों पर ज़िन्दगी
ठान लिया तो हौसला कहाँ कम है
खोल अपने पंखों को छू ले आसमान
निश्चय कर लिया यदि उड़ने का 
तो आसमान कहाँ कम है।
@tri....


 

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