रविवार, 20 दिसंबर 2020

रूठना और मनाना

 

मेरा रूठना और तेरा मुझको मनाना
दिल का टूटना फिर तुझसे ही दिल लगाना
बाते न करना और बाते बनाना
कुछ न बोल कर भी बहुत कुछ बोल जाना
आंखे मटकाना और ओठो से मुस्कुराना
खुद भी हँसना और मुझको भी हँसाना
इशारो इशारो में मुझको मनाना
कितना प्यार है मुझसे, ये अहसास कराना
कान पकड़ के उठक बैठक लगाना
फिर भी न मानु तो मेरे करीब आना
"सॉरी" कह के मेरे गले लग जाना
कितने भी झगड़े करना पर दूर न रह पाना
दो पल का गुस्सा पल भर में मिट जाना
यही तो प्यार है कभी रूठना कभी मनाना
आदत है प्यार की प्यार की आदत बन जाना।
          ✍️tri..        

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