कल की सोच में
आज परेशान है क्यो?
हाथ की लकीरों को देख
हैरान है क्यो ?
माना घोर अंधेरा है,
पर किस बात ने तुझे घेरा है?
भाग्य के भरोसे बैठा,
तो अंधेरा न मिट पाएगा;
कर्म की पूजा कर
भाग्य तेरा बदल जाएगा |
जो होना है वो होगा ही,
तेरे रोके न रुकेगा ,
जो तुझे मिलना है ,
वो जरूर तुझे मिलेगा।
तेरे कर्म का फल
कोई और न खाएगा |
जैसा तू कर्म करेगा,
वैसा ही फल पाएगा|
माना आज वक़्त बुरा है!
पर युही चला जाएगा|
आज पतझड़ का मौसम है
कल हरियाली आएगा।
तेरे हौसले के आगे,
कुछ भी न टिक पाएगा |
हो कर मायूश
खो रहा है धैर्य क्यो?
आज कुछ नही है तू !
कल सूरज बन जाएगा |
तेरे विश्वास से..
हर कोना जगमगाएगा।
@tri....
Beautiful poem eith true words.....
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