बुधवार, 28 अक्टूबर 2020
विश्वास की उड़ान
गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020
ज़िन्दगी सुन जरा..
रविवार, 18 अक्टूबर 2020
कलियुग और इंसान
बुधवार, 14 अक्टूबर 2020
कलाम तुझे सलाम
सोमवार, 12 अक्टूबर 2020
आत्मनिर्भर फेरीवाले
शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020
रिक्सेवाला
मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020
मेरे अल्फ़ाज़ तेरे नाम से...
शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020
मेरी आवाज (हर नारी के दिल की बात)
मैं लड़की हूँ ओस की बूंदों सी
गंगा की तरह पवित्र मेरा मन है
अपने सपनो को मार कर जीती हूँ
हर वक़्त आसूं के घुट पीती हूँ
यह वही समाज है जहाँ मैं देवी हूँ
किसी की माँ किसी की बेटी हूँ
किसी की बहन किसी की बहू हूँ
किसी की प्रेमिका किसी की पत्नी हूँ
इतने सारे रिश्तों को संजोती हूँ
अपनो की खुशी के लिए जीती हूँ
दुख साझा नही करती अकेले मे रो लेती हूँ
सब कुछ तो करती हूँ समाज के लिये
फिर भी नज़रे मुझपे ही क्यों उठती है
हर दिन मेरा बलात्कार होता है
मेरे सपनों का चीर फाड़ होता है
मेरे जिस्म का बलात्कार होता है
मेरे जज्बात का तिरस्कार होता है
बलात्कार के बाद राजनीति होती है
कुछ दिन तक मैं सुर्खियों में होती हूँ
कुछ महीनों तक लोगो के स्टेटस पर
फिर मेरे नाम पर मोमबत्ती जलाई जाती है
फिर इंसाफ की बातें चलाई जाती है
हर वक़्त हर पल हर क्षण मैं ही मरती हूँ
महाभारत से लेकर आज तक
सिर्फ मेरी इज्जत ही तो उतारी गयी है
अक्सर मुझे बचलन बना दिया जाता है
पर आदमी के चाल चलन पर सवाल नही उठता है
मैं वही देवी हूँ जो नवरात्र में सजाई जाती हूँ
कभी दुर्गा कभी काली रूप मे पूजी जाती हूँ
कहते हो मुझे देवी,तो देवी का सम्मान भी करो
मैं तुम्हारे देश की लाज हूँ मुझे बदनाम तो न करो।