बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

विश्वास की उड़ान

 

कल की सोच में 
आज परेशान है क्यो?
हाथ की लकीरों को देख 
हैरान है क्यो ?
माना घोर अंधेरा है,
पर किस बात ने तुझे घेरा है?
भाग्य के भरोसे बैठा, 
तो अंधेरा न मिट पाएगा;
कर्म की पूजा कर 
भाग्य तेरा बदल जाएगा |
जो होना है वो होगा ही,
तेरे रोके न रुकेगा ,
जो तुझे मिलना है ,
वो जरूर तुझे मिलेगा।
तेरे कर्म का फल 
      कोई और न खाएगा |   
जैसा तू कर्म करेगा, 
वैसा ही फल पाएगा|
माना आज वक़्त बुरा है!
पर युही चला जाएगा|
आज पतझड़ का मौसम है 
कल हरियाली आएगा।
तेरे हौसले के आगे,
कुछ भी न टिक पाएगा |
हो कर मायूश 
खो रहा है धैर्य क्यो? 
आज कुछ नही है तू !
कल सूरज बन जाएगा |
तेरे विश्वास से..
हर कोना जगमगाएगा।
@tri....
                                    

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

ज़िन्दगी सुन जरा..

 

मंजिल की तलाश में ज़िन्दगी बदलती गयी
वक़्त की रफ्तार में उम्र ढलती गयी
दिमाग ने सोचने का मौका ही न दिया
समय के साथ कभी समझौता न किया
चाहे तकनीक हो या काम का दबाव
आपसी संबंध हो या शिक्षा का क्षेत्र
भागती ज़िन्दगी ने हक्का बक्का कर दिया
मन की खिड़कियों को खोलने का वक़्त ही न दिया
जब भी जरूरत पड़ी मदद की
नजरे अपनो की तलाश करती रही
अपने भी वक़्त के साथ बदलते गए
रिश्ते झूट थे जो धीरे धीरे गलते गए
मन भयभीत था जो डरता रहा
उत्तर की तलाश में आवारा भटकता रहा
उत्तर तो भीतर ही निहित था
अंतर मन के किसी कोने में सुरक्षित था
जब मन को एकाग्र किया
खुद को देखने का प्रयास किया
तब दिल ने जवाब दिया
मंजिल की तलाश में क्यो भटक रहा है तू
कड़ी धूप में क्यो जल रहा है तू
रुक थोड़ा अए ज़िन्दगी आराम कर 
थक गया होगा थोड़ा विश्राम कर
मंजिले मिलेगी तुझे रास्तो पर ध्यान दे
खुशिया बिखरी है यहाँ तू उन्हें पहचान दे
माना सफलता के लिए मंजिले जरूरी है
पर मंजिल तक पहुचने के लिए जीना भी जरूरी है 
प्रकृति में खुशिया है खुल कर आनंद ले
कह रही है ज़िन्दगी सुन जरा तू ध्यान से
"मंजिलों की फिक्र में उम्र बर्बाद मत कर
रास्तो का लुत्फ़ उठा डर को मार कर।"
@tri....

रविवार, 18 अक्टूबर 2020

कलियुग और इंसान


कलयुग को ईश्वर का वरदान है
सत्य निर्धन है तो झूठ धनवान है
धर्म कर्म की यहाँ दुकान है
दिखावे की बस पहचान है
मोती खाता कौवा अनजान है
दाना चुगता हंश हैरान है
जिसकी लाठी उसकी भैंस यही गुणगान है
पैसों से मिले प्रतिभा का सम्मान है 
कोई खरीदता कोई बेचता ईमान है
सब अपने अपने मे परेशान है
यहाँ तो कदम कदम पे बेईमान है
जो इंसानियत को कर रहे बदनाम है 
सच्चाई और इमानदारी तो सिर्फ नाम है
जो इस पर चल रहा उसका जीना हराम है
धर्म की राजनीति में आज घिरा हिन्दुस्तान है
सीमा पे तैनात कह रहा हर जवान है
@tri....

बुधवार, 14 अक्टूबर 2020

कलाम तुझे सलाम

 

न हिन्दू थे न मुसलमान
थे हिन्दुस्तान की शान
बच्चो के थे दिल के तारे
युवाओं के आदर्श निराले
गरीबी में थे पले बड़े
ज़िद्द पे अपने रहे अड़े
कभी मुश्किलों से डरे नही
मिली चोट पर रुके नही
निरंतर किया उन्होंने अभ्यास 
कभी न हुए वे हताश
हिम्मत लगन उनके खून में था
साहस उनके अस्तित्व में था
आदर्श संस्कार माँ से मिला
ईमादारी का सबक पिता ने दिया
कर्तब्य पथ ने निडर बना दिया
सपनो ने जीना सीखा दिया 
सपने थे आसमान को पाने की
हौसला था इतिहास बनाने की
करते रहे प्रयास पर प्रयास 
बनाते गए मिसाइल ख़ास
परमाणु परीक्षण कर बने महान
देश को हुआ इनपर अभिमान 
देश ने दिया भारतरत्न का सम्मान
देश ने गाया गौरवगान
मिसाइल मैन तुझे प्रणाम
कलाम तुझे सलाम।
@tri....

सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

आत्मनिर्भर फेरीवाले

 


कल अचानक सड़क का नजारा देखने लायक था
फेरीवाले अपने सामान समेटे यहाँ वहाँ भाग रहे थे
ऐसा लग रहा था मानो कोई तूफान आ रहा हो
वहाँ से गुजरने वाले लोग खड़े तमाशा देख रहे थे
अचानक सामने से एक बड़ी सी गाड़ी गुजरती है
सड़क के किनारे बाजार के बीच वह रुकती है
गाड़ी के रुकते ही कुछ लोग गुस्से में उतरते है
बाजार से भाग रहे फेरीवालों को पकड़ कर मारते है
सामान से भरे टोकरियों को छिन कर फेक देते है
उनके फल और सब्जियों को अपने गाड़ी में भरते है
और धमकी देते हुए  तेजी से वहाँ से निकल जाते है 
समझ नही आया कि फेरीवालों का अपराध क्या है
क्या बाजार में फल सब्जियां बेचना उनका अपराध है?
या आत्मनिर्भर बन रोजगार करना अपराध है?
जब एक फेरीवाले से मैंने पूछा कि ये लोग कौन थे 
क्यो आप लोगो की सब्जियां, फल ठेले सहित ले गए?
जवाब मिलते ही दिल और दिमाग शांत सा हो गया
फेरीवाले ने बड़े ही गुस्से में तिलमिलाकर जवाब दिया, 
"साहब बाजार में फेरीवालों को हफ्ता देना होता है
जो फेरीवाला हफ्ता नही देता उसका यही हाल होता है"
मैंने पूछा"वैसे ये हफ्ता किसके कहने पे लिया जाता है?

फेरीवाले के जवाब ने तो नेताओं की पोल ही खोल दी
जो कुछ मुझे नही पता था उसकी नम आंखों ने बोल दी
यारो सच हम सबको को पता है पर डर से कुछ बोलते नही
इंसान है पर बंदर की तरह गुलाटी मारना हम छोड़ते नही 
हर किसी के जुबान पर है आत्मनिर्भर बनो आत्मनिर्भर
आप खुद ही सोचिये कोई इस तरह कैसे बने आत्मनिर्भर?
@tri....

शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020

रिक्सेवाला

 

हर किसी के गम में 
अपने गम की झलक पाता है
एक बूढ़ा रिक्से वाला 
अपनी धुन में चला जाता है
तन पे फटा पुराना कपड़ा लपेटे 
छालों से भरे नग्न पाव समेटे
छोटी छोटी उम्मीदे संजोकर 
हर सुबह कमाने निकल जाता है
एक बूढ़ा रिक्से वाला 
अपनी धुन में चला जाता है
धूप में खड़ा होकर 
वह हर मुसाफिर को बुलाता है
    मुसाफिर मिलते है     
                मंजिल की तरफ बढ़ जाता है                 
अपने खून को जला कर 
मुसाफ़िर को मंजिल तक पहुचाता है
एक बूढ़ा रिक्से वाला 
अपनी धुन में चला जाता है
मुसाफ़िर के अपशब्द सुनता है
और मन ही मन मुस्कुराता है 
ज्यादा कमाने की लालच नही
बस दो रोटी की चाहत में 
हर रोज युद्ध पर निकल जाता है
एक बूढ़ा रिक्से वाला 
अपनी धुन में चला जाता है।
@tri....

मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020

मेरे अल्फ़ाज़ तेरे नाम से...

 


मेरे अल्फ़ाज़ है बस तेरे ही नाम से
लब्जो की है किताब बस तेरे ही नाम से
किताब के हर पन्ने में तस्वीर तेरी ही है
पन्नो पर लिखें अल्फ़ाज़ भी है तेरे नाम से
मेरे हर लफ्ज़ बस तुझे ही याद करते है
तेरी खूबसूरती पे शायरी किया करते है
मेरे कलम जब शब्दो की उड़ान भरते है
बड़ी ही खूबसूरती से तेरा जिक्र किया करते है
मैं कैसे मनाऊ दिल को की तेरा नाम न लु
दिल के जज्बात है बस तेरे ही नाम से
देने को तो कुछ नही तुझे दिल के सिवा
पर लिख दिया आसमान मैंने तेरे नाम से
@tri....

शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020

मेरी आवाज (हर नारी के दिल की बात)

 

मैं लड़की हूँ ओस की बूंदों सी

गंगा की तरह पवित्र मेरा मन है

अपने सपनो को मार कर जीती हूँ 

हर वक़्त आसूं के घुट पीती हूँ 

यह वही समाज है जहाँ मैं देवी हूँ  

किसी की माँ किसी की बेटी हूँ 

किसी की बहन किसी की बहू हूँ 

किसी की प्रेमिका किसी की पत्नी हूँ 

इतने सारे रिश्तों को संजोती हूँ 

अपनो की खुशी के लिए जीती हूँ 

दुख साझा नही करती अकेले मे रो लेती हूँ 

सब कुछ तो करती हूँ समाज के लिये

फिर भी नज़रे मुझपे ही क्यों उठती है

हर दिन मेरा बलात्कार होता है 

मेरे सपनों का चीर फाड़ होता है

मेरे जिस्म का बलात्कार होता है

मेरे जज्बात का तिरस्कार होता है

बलात्कार के बाद राजनीति होती है

कुछ दिन तक मैं सुर्खियों में होती हूँ 

कुछ महीनों तक लोगो के स्टेटस पर

फिर मेरे नाम पर मोमबत्ती जलाई जाती है

फिर इंसाफ की बातें चलाई जाती है

हर वक़्त हर पल हर क्षण मैं ही मरती हूँ 

महाभारत से लेकर आज तक 

सिर्फ मेरी इज्जत ही तो उतारी गयी है

अक्सर मुझे बचलन बना दिया जाता है 

पर आदमी के चाल चलन पर सवाल नही उठता है

मैं वही देवी हूँ  जो नवरात्र में सजाई जाती हूँ 

कभी दुर्गा कभी काली रूप मे पूजी जाती हूँ 

कहते हो मुझे देवी,तो देवी का सम्मान भी करो 

मैं तुम्हारे देश की लाज हूँ  मुझे बदनाम तो न करो।