कहानी का नाम सुनकर आप लोगों को थोड़ा अजीब लग रहा होगा पर दोस्तों कहानी पढ़ने के बाद आप को लगेगा कि यही नाम इस कहानी के लिए उचित था। तो बिना देर किए कहानी की शुरुवात करते है।
एक बस के बीच की सीट पर बैठा एक युवा जोड़ा बहुत देर से आपस में बात कर रहा था । मैं ठीक उनके पीछे ही बैठा था। अचानक उन्होंने मुझसे पूछा, "क्या ये बस पनवेल जाएगी ?" मैंने भी 'हाँ' में जवाब दिया और चुप चाप उनकी बातें सुनने लगा। उनकी बातों से लग रहा था वो काफी समय से एक दूसरे के साथ है। एक दूसरे को जानते है ।
इतना ही नहीं उनकी बातों से ये भी लग रहा था वो एक दूसरे से बेहद प्यार भी करते है। लड़की लड़के से भावनात्मक स्वर में बोले जा रही थी कि वो उसके बिना नहीं रह सकती। कहीं उसके माता पिता उसे अलग न कर दे। उसकी शादी कहीं और न कर दे उसके पहले मुझे भगा ले जाओ।
लड़का समझदारी से उसे समझा रहा था की भागना सही नहीं है सिर्फ अपने खुशी के लिए हमे अपने लोगों का दिल नहीं तोड़ना चाहिए।
"क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करते ? क्या तुम नहीं चाहते हम साथ रहे ? या तो तुम भागने से डर रहे हो !," लड़की ने जवाब दिया। लड़के ने बहुत ही नम्र भाव से उत्तर दिया, " भागने से डर नहीं रहा हुँ,
भागने के बाद तुम्हारे अपनो की ज़िंदगी पूरी तरह
से पलट जाएगी । तुम्हारे माता पिता की क्या हालत होगी वो सोच रहा हुँ।"
लड़की जवाब में कहती है, " तो क्या लड़कियों से नहीं पूछी जानी चाहिए उनकी मर्जी ? क्या हमारी पसंद-नापसंद का कोई मोल नहीं।
"ऐसा नहीं है " लड़का बोलता है।
लड़की कहती है, "ऐसा नहीं तो क्या है? हम लड़कियों को कचरा समझ कर या बोझ समझ कर किसी के भी गले मढ़ दिया जाता है । ज़िन्दगी तो हमे बितानी है तो हमारी भी राय लीजिए।"
लड़का उसके सिर पर हाथ रख कर धीरे से थपकी मारते हुए बोलता है,"पागल, इतना सब क्यों गलत सोच रही हो, माता-पिता को हमारी फिक्र है इसलिए वो हमारे बारे में सोचते है । पर मैं तुम्हारी इस बात से सहमत हूँ कि उन्हें अपने बच्चों से उनकी राय, उनकी पसंद-नापसंद पूछनी चाहिए जो बहुत जरूरी है,अगर ऐसा हो जाए तो प्यार करने वाली जोड़ियाँ भागे ही क्यों।" "अब समझे न मेरी बात ! लड़कियों को लगता है बिना खुद की पसंद के जबरदस्ती शादी करके ज़िन्दगी भर एडजस्ट ही करना है और फिर अपने माँ-बाप को कोसना है उससे अच्छा खुद की पसंद से भाग के
शादी करना ठीक है ताकि आगे हम किसी को
कोसेंगे तो नहीं । ", लड़की ने कहा।
"पर एक बात मेरी सुनोगे ? अच्छी तरह सुनना। " लड़का प्यार से बोलता है। "क्यों नही सुनूँगी , तुम बोलो ।" लड़की जल्दी में जवाब देती है। लड़का समझाते हुए बोलता है, " भागना गलत होता है, मनाना सही है। भागने वाले जोड़े में लड़के की इज्ज़त पर कोई फर्क नही पड़ता, जबकि लड़की पूरी तरह से बदनाम हो जाती है। भगाने वाला लड़का उसके दोस्तों की नज़रों में हीरो बन जाता है। भागने वाली लड़की आगे चलकर 60 साल की वृद्धा भी हो जाएगी तब भी जवानी में लिए उस
एक कदम का कलंक उसके और परिवार के माथे पर से नहीं मिटता। मानता हूँ कि लड़का लड़की
को तौलने का ये दोहरा मापदंड गलत है, लेकिन हमारे समाज में है तो यही , ये नज़रिया गलत है,
मगर सामाजिक नज़रिया यही है। मैं चाहता हुँ ऐसा कोई काम न करूँ जिससे तुम्हें कोई बुरा बोले या तुम्हारे माता पिता को लगे कि बेटी ने बदनाम कर दिया। मैं इज्ज़त से तुम्हे ले जाऊँगा ताकि तुम्हारा और तुम्हारे माता-पिता का सम्मान बना रहे पर ले जाऊँगा जरूर। लड़की लड़के की बात सुन गर्व से उसके गले लग गई। उसके जुबान से बस एक ही वाक्य निकलता है "हम मनाएँगे अपने माता पिता को।"
दोनों की बात सुन इस बात का अहसास जरूर हुआ,की हमे कभी भी हार नही माननी चाहिए।जितना हो सके सभी को प्यार से मनाने की कोशिश करना चाहिए। समस्याए है तो बात कर के उसका समाधान निकालना चाहिए और समाधान ऐसा हो जिससे न ही किसी का दिल टूटे और न ही कोई अपना हमसे रूठे।
तो दोस्तो कैसी लगी कहानी,काश इस कहानी की तरह अगर हर युवा जोड़ी की सोच ऐसी ही अच्छी और सच्ची हो जाये तो माँ बाप का सम्मान तो बढ़ेगा ही साथ में माँ बाप को अपने बच्चों की सोच पर गर्व भी महसूस होगा।
✍️त्रिभुवन शर्मा
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