रविवार, 27 सितंबर 2020

गम है पर हौसले कहाँ कम है

हर घर मे एक कमरा कम है
हर तिजोरी में एक रुपया कम है
अच्छा बुरा तो सिर्फ भ्रम है
ज़िन्दगी में टेंशन कहाँ कम है
किसी के सर पर छत नही 
किसी के तन पे कपड़े नही 
किसी को खाने को रोटी नही 
किसी को कोई समस्या नही 
फिर भी गम कहाँ कम है
हर वक़्त बेबस है ज़िन्दगी 
कुछ न कुछ पाने का मन है
लालच में डुबे इंसान का तन है
माना कभी खुशी कभी गम है
हिम्मत गर हो तो हर गम कम है
मनाया जाये तो खुशियों के 
त्यौहार कहाँ कम है
जियो तो अपनी शर्तों पर ज़िन्दगी
ठान लिया तो हौसला कहाँ कम है
खोल अपने पंखों को छू ले आसमान
निश्चय कर लिया यदि उड़ने का 
तो आसमान कहाँ कम है।
@tri....


 

बुधवार, 23 सितंबर 2020

कठपुतली


कठपुतली का खेल बहुत पुराना है
नचाता कोई और खुश होता जमाना है
धागों के सहारे नाचती कठपुतली
उंगली पे नचाता अदृश्य कलाकार
उनका अपना न कोई मन है न विचार
न ही कोई जज्बात और न कोई अरमान
बस इशारा मिलते ही खेल दिखाती है
खेल खत्म होते ही बक्से में सिमट जाती है
कठपुतली है साहब जीना सिखाती है
देखने वालों को असली चेहरा दिखाती है
अलग अलग पात्र बन जीवन मे आती है
कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है
जीवन का हर एक पात्र कठपुतली है
इस सच्चाई से रूबरू कराती है।
@tri....

सोमवार, 21 सितंबर 2020

दिल से दिल की बात

 

तेरी आहट से में तो वाकिब हु
तू तो नही है, पर मैं तो शामिल हु
जो भी हो रहा है, ये ना मेरा क़सूर है
जो भी हो गया है, ना तेरा क़सूर है
कहता हूं मैं साथ हु ,मैं तेरे पास हु
कुछ भी नही मैं तेरा, सिर्फ़ अहसास हु
आदते मजबूरियां, बन गयी अब दूरियां
जी रहा हु बस, यही तेरी यादों में कही
आरजू मिट सी गयी, जुस्तजू मिट से गये
न कुछ बचा है अब, न कोई अब खास है
खुश रहो तुम सदा,नए सफर की शुरुवात हो
न रहे कोई गम कही, ज़िन्दगी सदा आबाद हो
दिल की तमन्ना यही, फिर कही मुलाक़ात हो
दिल से दिल फिर मिले, खुशियों की बरसात हो
@tri....

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

मैं और तुम beautiful romantic poem)


कभी तुम तन्हा करती हो
कभी तुम साथ रहती हो
कभी तुम रुठ जाती हो
कभी खुद मान जाती हो
आंखों से इशारे करती हो
बहुत कुछ बोल जाती हो 
सरमा के आहे भरती हो 
दिल जीत जाती हो
आंखे जब बंद करता हु 
तुम सपनो में आ जाती हो,
आईना जब भी देखता हूं 
नज़र तुम ही आती हो,
कभी रात में चाँद की चाँदनी बन 
लोरी तुम सुनाती हो
सुबह सूरज की किरणे बन 
मुझको तुम जगाती हो।
@tri....

सोमवार, 14 सितंबर 2020

जन जन की भाषा हिन्दी



जन जन की भाषा हिन्दी
देश का गौरव गान है।
हिन्द देश हिन्दुस्तान हमारा
हिन्दी हमारी पहचान है।
भारत माँ के माथे की बिंदी
हिन्दी हमारी आन है।
सभी भाषाओं की बहन है हिन्दी
हिन्द वतन की शान है।
हिन्दी से है रोशन कविता
लेखक का अभिमान है।
हिन्दी हमारी मातृभाषा
हिन्दी हमारी जुबान है।
हिन्दी देश की राष्ट्रभाषा
हम सबका स्वाभिमान है।
@tri....

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

सपने



कुछ सपने मैंने खरीदे थे 
अपनी नीदों को बेच कर,
न जाने वो कहाँ खो गए
बिस्तर के नीचे देखा
तकिये के अंदर तलाशा
उम्मीदों के गुलक में ढूढा
पूरी अलमारी खंगाल डाली
बहुत ढूढा पर कही नही मिले
नज़र पड़ी खिड़की के बाहर
विश्वास के खंबे पर बैठे
अपने पंखों को सहलाते
मुझे देख मुस्कुरा रहे थे
ऐसा लग रहा था कि 
मानो ऊची उड़ान भरने वाले हो।
@tri....

बुधवार, 2 सितंबर 2020

मन की बात (poem)


हिन्दी के हम भक्त है मन की बात बताते है,
पर अपने खुद के सुपुत्र को कान्वेंट में पढ़ाते है,
स्वदेशी चीज़ों का समर्थन हम सब करते है, 
पर विदेसी सस्ती चीज़ों से अपना घर भी भरते है,
लोकतंत्र तो अब सिर्फ किताबी बाते है ,
आवाज़ उठाने वाले सीधा जेल में जाते है,
देश का विकास तो भाषणों में सोया हुआ है, 
रोजगार न्यूज़ पेपर के पन्नो में खोया हुआ है,
चोरी चकारी घोटालो से लिपटा यह संसार है,
शिक्षा के नाम पे यहाँ चल रहा बाजार है,
एक तरफ यहाँ नारी देवी का अवतार है
दूसरी तरह नारी पर हो रहा अत्याचार है
देश की अर्थव्यवस्था मन की बातो में ही सच्ची है,
भिखारियों की हालत बेरोजगारो से अच्छी है,
राजनीति अब खेल का मैदान बन गयी है,
जनता वोटबैंक की दुकान बन गयी है,
जहाँ जागो वही सबेरा अच्छा सुविचार है
जागो जनता जागो यह मेरा विचार है।
@tri....