हर घर मे एक कमरा कम है
हर तिजोरी में एक रुपया कम है
अच्छा बुरा तो सिर्फ भ्रम है
ज़िन्दगी में टेंशन कहाँ कम है
किसी के सर पर छत नही
किसी के तन पे कपड़े नही
किसी को खाने को रोटी नही
किसी को कोई समस्या नही
फिर भी गम कहाँ कम है
हर वक़्त बेबस है ज़िन्दगी
कुछ न कुछ पाने का मन है
लालच में डुबे इंसान का तन है
माना कभी खुशी कभी गम है
हिम्मत गर हो तो हर गम कम है
मनाया जाये तो खुशियों के
त्यौहार कहाँ कम है
जियो तो अपनी शर्तों पर ज़िन्दगी
ठान लिया तो हौसला कहाँ कम है
खोल अपने पंखों को छू ले आसमान
निश्चय कर लिया यदि उड़ने का
तो आसमान कहाँ कम है।
@tri....