कलयुग को ईश्वर का वरदान है
सत्य निर्धन है तो झूठ धनवान है
धर्म कर्म की यहाँ दुकान है
दिखावे की बस पहचान है
मोती खाता कौवा अनजान है
दाना चुगता हंश हैरान है
जिसकी लाठी उसकी भैंस यही गुणगान है
पैसों से मिले प्रतिभा का सम्मान है
कोई खरीदता कोई बेचता ईमान है
सब अपने अपने मे परेशान है
यहाँ तो कदम कदम पे बेईमान है
जो इंसानियत को कर रहे बदनाम है
सच्चाई और इमानदारी तो सिर्फ नाम है
जो इस पर चल रहा उसका जीना हराम है
धर्म की राजनीति में आज घिरा हिन्दुस्तान है
सीमा पे तैनात कह रहा हर जवान है
@tri....
very true👌✍💐
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