कोशिश करोगे मुस्कुराने की
पर सच वाली हँसी ओठो पर न आएगी।
झूठ का नकाब ओढ़े ज़िन्दगी
कभी न कभी तो डगमगायेगी।
खुशियों के पल खरीदोगे
तो उलझने भी साथ आएगी।
लोगो की बदुआये लोगे तो
रात में नींद कहाँ से आएगी।
सर दर्द से फटेगा रूह कपकपायेगी,
साँसे लोगे तो दिल की धड़कन बड़ जाएगी।
डर के कदमो की आहट
अक्सर वक़्त बेवक़्त सतायेगी।
चाहोगे दुनिया से आज़ाद होना
पर आज़ादी रास न आएगी।
सारी उलझनों से दूर शांति से
सोना चाहोगे पर नींद कहाँ से आएगी।
✍️त्रिभुवन शर्मा..
Hats off to you sir
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