एक नन्हा दीया तो हूँ
मुझमे स्वयं जलने और
कुछ करने की शक्ति तो है,
क्या हुआ अगर मैं पूरे जग को
प्रकाशित नही कर सकता
पर रोशनी फैलाने की चाहत तो है,
कुछ करने की इच्छा
मेरे जीवन का उद्देश्य है
छोटा ही सही कुछ तो मुझमे विशेष है,
मेरा आत्मविश्वास अक्सर
मुझे प्रेरणा देता है,
अच्छा हो या बुरा हो समय
एक दिन जरूर परिवर्तन होता है,
पाता है वही जग में मंजिल
जो कभी अपना आत्मविश्वास नही खोता है,
फिर चाहे एक नन्हे दीपक का प्रकाश हो
या एक विशाल से सूरज का तेज
यह सवाल तो बस सवाल ही रह जाता है,
सदियों से जग उसी को अपनाता है
जो अपनी राह खुद ही बनाता है।
✍️tri..
Beautiful poem🙏👌🏻
जवाब देंहटाएंVery nice Keep it up Sir🙏
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