शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

मैं और तुम beautiful romantic poem)


कभी तुम तन्हा करती हो
कभी तुम साथ रहती हो
कभी तुम रुठ जाती हो
कभी खुद मान जाती हो
आंखों से इशारे करती हो
बहुत कुछ बोल जाती हो 
सरमा के आहे भरती हो 
दिल जीत जाती हो
आंखे जब बंद करता हु 
तुम सपनो में आ जाती हो,
आईना जब भी देखता हूं 
नज़र तुम ही आती हो,
कभी रात में चाँद की चाँदनी बन 
लोरी तुम सुनाती हो
सुबह सूरज की किरणे बन 
मुझको तुम जगाती हो।
@tri....

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