मंगलवार, 11 अगस्त 2020

कृष्ण सुदामा हरि हरि (poem)




इतिहास के पन्नो में दोस्ती की अमर कहानी है,
जैसे शीतल निर्मल और पवित्र गंगा का पानी है,
वस्त्र पुराने,नंगे पांव,नाम सुदामा कृष्णमित्र कहलाते है,
भूल कर हर पीड़ा गिरधर से मिलने द्वारिका पहुच जाते है,
सुदामा नाम सुन द्वारकाधीश नंगे पाँव ही दौड़े चले आते है,
मित्र सुदामा को देख बिना सकुचाये गले लग जाते है,
आदर सत्कार कर सुदामा को राजगद्दी पर बिठाते है,
खून से सने सुदामा के पैरों को देख अश्रु छलक जाते है,
मित्र भक्ति में लीन प्रभु सुदामा के पैर धुंवे जाते है,
मित्र स्नेह की ताकत देखो कृष्ण सुदामा बन जाते है,
छोड़कर सारे भेदभाव ,मित्र की नज़र में एक हो जाते है,
मित्र सुदामा जैसा हो तो स्वयं भगवान मित्र बन आते है,
मित्र कृष्ण जैसा हो तो निर्धन मित्र धनवान हो जाते है।
@tri....

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