एक लड़की थी कुछ ऐसी
बागों में सुंदर फूलो के जैसी,
मासूम सा चेहरा था उसका
प्यारी सी मुस्कान थी उसकी,
सादगी की सुंदर मूरत थी
वो लड़की बहुत खूबसूरत थी,
आँखें झील और रंगत गुलाबी थी
पापा की प्यारी माँ की दुलारी थी,
किसी से न डरने वाली
हर मुश्किलों से लड़ने वाली
दोस्तो की जान माँ बाप की शान थी,
वक़्त ने करवट बदला
बाग के इस खूबसूरत फूल को
किसी की नज़र लग गयी,
देख न सकी वह विश्वास से
लिपटी प्यार के खंजर
शायद ईश्वर देने वाला था
उसे संघर्षों का मंजर,
मुस्कुराने वाली लड़की
प्यार में धोखा खायी लड़की
खामोश रहने लगी,
न कोई आस, न कोई पास
हर पल रहने लगी वह उदास,
बिंदास सी लड़की बदल सी गयी
चुटकी में उलझने सुलझाने वाली
दुसरो को मुस्कान देनी वाली
खुद मुस्कुराना भूल गयी,
शुरू में वह धोखे को धोखा
दर्द को दर्द मानने से इनकार करती ,
न शीशा देखती है, ना सपने
पर जल्द ही खुद को संभाला उसने,
पीछा छुड़ाया आंखों की नीर से
भरने को ठाना घाव ,
जो मिले थे धोखे की तीर से,
ठोकर खाई वह जल्द ही संभल गयी
रुख हवाओ का मोड़
वह सपनो की तरफ बढ़ गयी,
जीवन के महत्व को
वह जल्द ही समझ गयी ,
नए संकल्प के साथ
खुद की भूल सुधार वह आगे बढ़ गयी
भविष्य की सोच के साथ,
अतीत का अन्तिमसस्कार कर गयी।
एक लड़की जो कभी कमजोर थी
अब दुर्गा से काली बन गयी।
@tri....
Beautiful poem❤️😍
जवाब देंहटाएंCreative wordings 👌🏻👌🏻 Superb 👌🏻
जवाब देंहटाएंVery Beautiful poem......
जवाब देंहटाएंOne of ur best poem u written...👌✍
V true ,beautiful, awsm,fab, best one 😊👌👌👌👌👌👍👍💙💙
जवाब देंहटाएंFrom - bhakti