बचपन मिट्टी के गुलक सी है
कभी अकड़ है तो कभी बकड है
इसमें छोटी छोटी खुशिया है
और रंग बिरंगे सपने भी है
जहाँ रोने की वजय है
वही हँसने का बहाना भी है
बचपन कागज़ की कश्ती सी है
न उभरने की चिंता है
न ही डूबने का कोई गम है
न कुछ पाने की आशा है
न ही कुछ खोने का डर है
बचपन पतंग की उड़ान सी है
जहाँ बस अपनी धुन है
और अपना खुद का आसमान है
न गिरने का डर है
न चोट का कोई भय है
बचपन ना समझ है पर सच्ची सी है
बचपन कैसा भी हो
अब की ज़िंदगी से अच्छी है।
@tri....
Bachapan hi sabse hasin hai.......😇
जवाब देंहटाएंBachpan hi sabse hasin hai....😇
जवाब देंहटाएंBeautiful poem....bachpan yaad dila diya
जवाब देंहटाएंAti sundar . Bachpan ki yaade wo beeti yaado k pal . Aapki sunahari lino se yaad aa gaye wo gujre kal .
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